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नलिनीगुल्मविमान श्री त्रैलोक्यदीपक धरणविहार नामक श्री राणकपुरतीर्थ श्री आदिनाथ चतुर्मुख जिनप्रासाद १४४४ सुन्दर स्तंभों से बना है और अपनी इसी विशेषता के लिये वह शिल्पक्षेत्र में अद्वितीय है। उसके प्रथम खण्ड की समानान्तर स्तंभमालाओं का देखाव । देखिये पृ० २७१ पर। (श्री आनंदजी कल्याणजी की पीड़ी, अहमदाबाद के सौजन्य से ।)