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प्राग्वाट-इतिहास:
[द्वितीय
(२) आसल पिथुका]
रंगानिवासी कडुकराज
[७ मोहिणी] चपलादेवी नरसिंह [नायकीदेवी] हरपाल [माम्हणी] | राजलदेवी गौरदेवी
पूर्णदेवी वयजादेवी सोहिय सहजा स्तमाल अमृतपाल
[१ललिता २ शीलुका] [सुहागदेवी] तिहुणसिंह [रुक्मिणी] पूर्णसिंह नरदेव तेजलादेवी
४ प्रीमलादेवी माल्हणदेवी (साध्वी) सवणसिंह लक्ष्मी
भीमसिंह नालदेवी प्रतापसिंह किल्हणदेवी
[चाहिणी] (४) (५)
(७) कुलचन्द्र अभयकुमार
जगतसिंह [प्रीमलादेवी] [जासलदेवी] [सलक्षणा]
[सज्जना १ राजलदेवी
१ सुहड़ादेवी ३ मोहिणी मल्लदेव [गौरदेवी]
जैत्रसिंह
घारावर्ष
श्रेष्ठि वोसिरि आदि
प्राग्वाटज्ञातीय परम जिनेश्वरभक्त पुरुषवर श्रे० शालि के वंश में उत्पन्न श्रे० शक्तिकुमार के पुत्र सोही* की धर्मपत्नी शिवदेवी की कुक्षी से उत्पन्न श्रे० वोसिरि, साढल, सांगण और पुण्यसिंह ने अपने माता-पिता के पुण्यार्थ श्री देवसूरिसंतानीय श्रीमुनिदेवसूरि द्वारा श्री अष्टापदजिनालय की प्रतिष्ठा करवाई तथा उनकी सहायता से उनके ही द्वारा वि० सं० १३२२ में रचे गये 'श्री शांतिनाथचरित्र' की प्रति ताड़पत्र पर लिखवाई ।*
*D.C.M.P. (G.0. S. Vo. No. LXXVI) P. 125 पर 'श्रासादी' के स्थान पर 'सोही' लिखा है। प्र०सं०प्र०भा० ता०प्र० १३४ पृ०८३ (शान्तिनाथचरित्र)