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अनन्य शिल्पकलावतार श्री लूणसिंहवसहि की हस्ति- अनन्य शिल्पकलावतार श्री लूणसिंहवसहि को शाला में हस्तियों के मध्य में विनिर्मित त्रिमंजिला हस्तिशाला में पुरुषों के खत्तकों के मध्य तथा सुन्दर समवशरण। पृ०१७८ ।
श्री समवशरण के ठीक पीछे एक खत्तक में विराजित सुन्दर परिकरसहित भव्य जिनप्रतिमा।
पृ०१७८।