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श्री प्राग्वाट इतिहास - प्रकाशक समिति के मंत्री मरुधर देशान्तर्गत पावा ग्रामवासी प्राग्वाटज्ञातीय बृहदशाखीय चौहानवंशीय लांबगोत्रीय
शाह ताराचन्द्र मेघराजजी का परिचय
वंश परिचय
शाह ताराचन्द्रजी के पूर्वज खीमाड़ा ग्राम में रहते थे । इनके पूर्वजों में शाह हेमाजी इनकी शाखा में प्रसिद्ध पुरुष हो गये हैं । हेमाजी के पुत्र उदाजी थे । उदाजी के पुत्र सूराजी थे । शाह सूराजी बड़े परिवार वाले थे । इनके चार पुत्र मनाजी, ओोखाजी, चेलाजी और जीताजी नाम के हुये । श्रखाजी द्वितीय पुत्र थे 1 ये बाबा ग्राम में जाकर रहने लगे थे । इनके पूनमचन्द्रजी और प्रेमचन्द्रजी नाम के दो पुत्र हुये । प्रेमचन्द्रजी के दलीचन्द्रजी और दलीचन्द्रजी के ताराचन्द्रजी नाम के पुत्र हुये । ताराचन्द्रजी का परिवार अभी भी बाबा ग्राम में ही रहता है। चेलाजी तृतीय पुत्र थे। इनके नवलाजी, रायचन्द्रजी और अमीचन्द्रजी नाम के तीन पुत्र हुये थे। नवलाजी के पुत्र दीपाजी और दीपाजी के वीरचन्द्रजी हुये और चंद्रजी के पुत्र सागरमलजी अभी विद्यमान हैं। ये खीमाड़ा में रहते हैं। रायचन्द्रजी के इन्द्रमलजी (दत्तक) हुये और इन्द्रमलजी के साकलचन्द्रजी और भीकमचन्द्रजी नाम के दो पुत्र हुये जिनका परिवार अभी पावा में रहता है । अमीचन्द्रजी निस्संतान मृत्यु को प्राप्त हुये । जीताजी चौथे पुत्र थे । इनके रत्नाजी नाम के पुत्र थे । रत्नाजी के कपूरजी, श्रीचन्द्रजी, चन्द्रभाणजी और संतोषचन्द्रजी चार पुत्र हुये थे । संतोषचन्द्रजी के पुत्र छगनलालजी हैं। जीताजी का परिवार खीमाड़ा में रहता है ।
शा० मनाजी का परिवार
ताराचन्द्रजी सूराजी के ज्येष्ठ पुत्र मनाजी के परिवार में हैं। शाह मनाजी की धर्मपत्नी का नाम गंगादेवी था। गंगादेवी की कुक्षी से अन्नाजी, लालचन्द्रजी, जसराजजी, फौजमलजी, मेघराजजी, गुलाबचन्द्रजी और सौनीबाई का जन्म हुआ था । अन्नाजी की धर्मपत्नी ढप्पादेवी थी । अन्नाजी के दलीचन्द्रजी, दीपचन्द्रजी और छोगमलजी तीन पुत्र हुये । शाह अन्नाजी का परिवार अभी पावा में रहता है। लालचन्द्रजी की स्त्री कसुनाई थी ।
सुबाई के मालमचन्द्रजी और अचलदासजी नाम के दो पुत्र हुये । इनके परिवार भी पावा में ही रहते हैं । जसराजजी की धर्मपत्नी उमादेवी इन्द्रमलजी, कपूरचन्द्रजी और हजारीमलजी नाम के तीन पुत्र हुये । इनके परिवार अभी पावा में रहते हैं । फौजमलजी की स्त्री का नाम नंदाबाई था । नन्दाबाई के किस्तूरचन्द्रजी और वीरचन्द्रजी नाम के दो पुत्र हुये । ये दोनों निस्संतान मृत्यु को प्राप्त हुये । अतः मालमचन्द्रजी के ज्येष्ठ पुत्र वृद्धिचन्द्रजी इनके दत्तक श्रये । मेघराजजी की धर्मपत्नी का नाम कसुम्बाबाई था । कसुम्बाबाई के ताराचन्द्रजी और मगनमलजी नाम के दो पुत्र हुये और छोगीबाई, हंजाबाई नाम की दो पुत्रियाँ हुई । मगनमलजी की धर्मपत्नी प्यारादेवी की कुक्षी से मोतीलाल नाम का पुत्र हुआ । मगनमलजी सपरिवार पावा में ही रहते हैं। गुलाबचन्द्रजी की धर्मपत्नी का नाम जीवादेवी था । जीवादेवी के नरसिंहजी नाम के पुत्र हुये । नरसिंहजी भी सपरिवार पावा में ही रहते हैं ।