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कलकलाकार कृष्ण का मृत्यु महोत्सव कल कल कलमकरण करून
ये ठाठबाठ और सत्ता अंत में तो मिट्टी और धूल के सिवा और क्या है ? अंत में तो हमें मरना ही है। तीन ताले लगे हुए द्वार के अन्दर भी मौत के चरण अवश्य पडते हैं । जब मृत्यु हमें चेतावनी दे तब हमें मौत से डरना नहीं चाहिये, क्योंकि मृत्यु तो मात्र रात्रि के अंधकार से सुबह के प्रकाश की ओर की
सफर है। • हम सब मुसाफिर हैं, और जगत एक सराय,
मृत्यु तो हमारे रात्रि मुकाम का अंत है। पर्गों के खिरने का निश्चित समय होता है, पुष्प उत्तरीय पवन से खिरते हैं, तारे अस्त होने का भी एक समय होता है, पर मृत्यु के लिये सभी ऋतुएँ समान हैं।
- श्रीमती हेमन्स • कैसा भी बडा विजेता हो, न्यायाधीश हो, या राजा हो,
मृत्यु तो उनको एक नज़र से देखती है। .. कुछ आज मरते हैं, कुछ कल मरेंगे, कुछ दिन में मरते हैं, कुछ रात में मरते हैं, कुछ जवानी में मरते हैं, कुछ बुढापे में मरते हैं, कुछ किसी कारणवश मरते हैं, कुछ आत्मघात करके मरते हैं, कुछ वैभवशाली जीवन के कारण मरते हैं, जब कि कुछ बीमारी या न सर्पदंशसे मरते हैं, कुछ भूख से, अजीर्ण से या पागल कुत्ते के काटने । से मरते है, कुछ घमासान युद्धमें मरते हैं। शामल कहता हैं कि मृत्यु एक या अन्य प्रकार से उसको दंश मारे बिना नहीं रहती। इंसान एक मृत्यु के डर में हजारों मृत्यु की पीडाओं को सहन करता है।
- यंग जीवन को होड़ में मत रखो, मृत्यु से मत डरो। इंसान अपने अंत से ज्यादा अपने अंतिम समय से डरता है। अगर वह ऐसा स्वीकार कर ले कि उसी के हित के लिये उसे अपने पास बुला लेनेका परमात्माने उसे वचन दिया है, और उसी वचन का पालन । करने के लिये ही उसे वापस बुलाते हैं, तो उसे मृत्यु का डर लगने का कोई कारण नहीं है।