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________________ आगम (४०) “आवश्यक’- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः ) भाग-२ अध्ययनं , नियुक्ति: [४५९-४६०], विभा गाथा [-], भाष्यं [१११], मूलं - /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] “आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सत्राक % -% | बहिया य नायसंडे आपुच्छित्ताण णायए सके। दिवसे मुहुत्तमेसे कमारगाम समणुपत्तो। १२१॥ भा०॥ बहिः कुण्डपुरात् ज्ञातखण्डे उधाने आपृच्छच ज्ञातकान् सर्वान् यथासन्निहितान् तस्मानिर्गतः, कर्मारपामगमनाप्रियेति वाक्यशेषः, तत्र च पथद्वयम्-पको जलेनापरः पाल्या, तत्र च भगवान् पाख्या गतवान्, गच्छंच दिवसे मुह-11 शेषे कारग्राममनुप्राप्तः, तत्र च प्रतिमायां स्थितः॥ सो भगवं दिवेहिं गोसीसाइएहिं चंदणेहिं चुन्नेहि य वासेहि य पुप्फेहि य वासियदेहो निक्खमणाभिसेएण य| अभिसित्तो, विसेसेण इंदेहिं चंदणाइगंधेण वासितो, तस्स पवइयस्सवि सतो चचारि साधिए मासे गंधो न फिडितो, अतो से सुरभिगंधेण भमरा बहवे दूरातो पुष्फितेऽवि कुंदाइवणसंडे चइत्ता दिहिं गंधेहिं आगरिसिया भगवतो देह मागम्म विंधति, केइ पुण मग्गतो गुमगुमायता समल्लियंति, जया पुण न किंचिवि पावंति तया आरुसिया तुंडहिं| द्वितयं भिंदिऊण खायंति, जेऽवि केई अजिइंदिया तरुणपुरिसा तेऽवि गंधे अग्याइऊण गंधमुच्छिया भयवंतं भिक्लाय रियाए हिंडतं गामाणुगार्म दूइज्जंतं अणुगच्छंता अणुलोम जायंति, देहि अम्हवि एवं गंधजुतिंति, ततो भयजाते तुसिणीए अच्छमाणे पहिलोमे उवसग्गे करति, तहा इस्थियातोवि भयवतो देहं सेयमलरहियं निस्साससुगंधमुहं है। प्राण्डीणि य निसग्गेण व नीलुप्पलपलासोवमाणि दह बहुविहमणुलोमुवसम्गं करेंति, एवं सामन्त्रेण भणियं, विसेसो।।। भण्णइ-तत्य जया भगवं कम्मारगामबाहिं पडिमं ठितो तया एगो गोवो दिवसं वइल्ले वाहित्ता गामसमीवं पत्तो; ताहे चिंतइ-एए गामसमीवे परंतु, अपि ता गावीतो दुहामि, ततोऽसौ जान मा पले पपिसित्ता यावीतो दुहइ ताव 95 दीप अनुक्रम Jan E rcan ... अथ भगवन्त महावीरस्य उपसर्गाणां वर्णनं ~257
SR No.007202
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages325
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size28 MB
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