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आगम
(४०)
प्रत सूत्रांक
[H]
दीप
अनुक्रम
[-]
उपोद्घात
निर्युक्तिः
॥२१॥
“आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः + वृत्तिः) भाग-२
अध्ययनं [-], निर्युक्तिः [ ३०६-३१९], वि० भा० गाथा [-] भाष्यं [४...] मूलं [- / गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र [१] "आवश्यक" निर्युक्तिः एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्तिः
अडाइजा उक्त्वा कुमारवासो उ ससिप होइ । अहं छचिप रखे पडवीसंगा य बोद्धवा ॥ ३०६ ॥ पणं पुसहस्सा कुमार वासो व पुष्पदंतस्स । तावद्दयं रजंमी अट्ठावीसं च पुचंगा ॥ ३०७ ॥ पणुबीससहस्साई पुवाणं सीयले कुमारतं । तावइयं परियाओ पन्नासं चैव रज्जमि ॥ ३०८ ॥ वासाण कुमारतं एगवीसं लक्ख होइ सेजसे । तावइयं परियायो बायालीसं च रजमि ॥ ३०९ ॥ गिहवासे अट्ठारस वासाणं सपसहस्स नियमेणं । चउपन्न सयसहस्सा परियाओ होइ वसुपुजे ॥ ३१० ॥ पन्नरस सपसहस्सा कुमारवासो उ तीसई रज्जे । पन्नरस सपसहस्सा परियायो होइ विमलस्स ॥ ३११ ॥ अद्धट्टमलक्खाई वासाणमणंतई कुमारते । तावइयं परियायो रज्जमि य होंति पन्नरस ॥ ३१२ ॥ - धम्मस्स कुमारतं वासाणाइयाई लक्खाई । तावइयं परियाओ रजे पुण होंति पंचेन ॥ ३१३ ॥ संतिस्स कुमारन्ते मंडलिचक्किपरियाय चउपि । पत्तेयं पत्तेयं वाससहस्साई पणवीसं ॥ ३१४ ॥ एमेव य कुंथुस्सवि च सुवि ठाणेसु होंति पत्तेयं । तेवीससहस्साइं वरिसाणऽद्धट्टम सया च ॥ ३१५ ॥ एमेव अरजिविंदस्स चउसुवि ठाणेसु होंति पतेयं । एगवीस सहस्साइं वासाणं हुंति नायद्या ॥ ३१६ ॥ मल्लिस्सवि पाससयं गिहवासे सेसयं तु परियायो । चउपण्णसहस्साई तब चेव सयाई पुण्णाई ॥ ३१७ ॥ अट्टमा सहस्सा कुमारदासो उ सुवयजिणस्स । तावइयं परियाओ पनरस सहस्स रज्जमि ॥ ३१८ ॥ नमिणो कुमारवासो वाससहस्साई दोषि अर्द्ध च । तावइयं परियाओ पंच सहस्साई रज्यंमि ॥ ३१९ ॥
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जिनानां
कुमारादिपर्यायः
गा. २९९१२१
॥२११॥