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मनोगत अनन्त धर्मात्मक वस्तु की अनेकान्तात्मक व्यवस्था को स्यावाद शैली द्वारा प्ररूपित करनेवाली चार अनुयोगमयी जिनवाणी के सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम के अन्तर्गत बालबोध विवेचिका, वीतराग-विज्ञान विवेचिका और तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग १ के बाद तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग २ का विवेचन करनेवाली 'तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग २' आपके समक्ष प्रस्तुत है।
इसमें यद्यपि पूर्ण सावधानी पूर्वक जिनवाणी का आलोडन कर ही विषयों का विवेचन किया गया है; तथापि तात्त्विक सैद्धान्तिक, न्यायपरक विषयों का समायोजन होने से मुझ अल्पबुद्धि द्वारा स्खलित होने की सम्भावना का भी सर्वथा निषेध नहीं किया जा सकता है; अत: जिनवाणी परम्परा के संरक्षक, सम्पोषक, सम्वर्धक, सम्माननीय विद्वद्-वृन्द और परम पूज्य साधु-समूह से परोक्ष प्रार्थना है कि आगमपरम्परा-संरक्षक अपनी मनोवृत्ति की उदारता के उपयोग द्वारा मुझे मार्गदर्शन देकर अनुगृहीत करेंगे।
इस युग के प्रथम तीर्थंकर के जन्म-दिवस पर प्रकाशित होनेवाली इस कृति से लाभान्वित हो, अपने तत्त्वज्ञान को निर्मल कर सभी अपना मोक्षमार्ग प्रशस्त करेंगेइस पवित्र भावना के साथ प्रस्तुत विवेचिका आपके कर-कमलों में सादर समर्पित है। ९ मार्च, २००५
कल्पना जैन, सागर भ. वासुपूज्य जन्म-ज्ञानकल्याणक दिवस
एम.एम., शास्त्री
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अ.भा.जैन युवा फैडरेशन, उस्मानपुरा, दिल्ली पर उपलब्ध साहित्य १. प्रवचनसार, पंचास्तिकायसंग्रह पद्यानुवाद
५/२. मोहक्षय का रामवाण उपाय (प्रवचनसार की 80वीं गाथा पर प्रवचन) ६/३. वर्तमान में जैन श्रावकाचार : एक संक्षिप्त विवरण ४. बालबोध मार्गदर्शिका (मराठी) ५. तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग-1
१३/६. गोम्मटसार कर्मकाण्ड विवेचिका भाग-1
१५/७. बालबोध विवेचिका
१५/८. तत्त्वज्ञान मार्गदर्शिका भाग 1 (मराठी) ९. वीतराग-विज्ञान मार्गदर्शिका (मराठी)
२०/१०. वीतराग-विज्ञान विवेचिका
२५/११. तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग-2
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