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________________ सागर में मग्न रहने वाला, १०. निर्मल समकित-ज्ञान से परिपूर्ण वात्सल्य भावयुक्त, ११. सागर-सा गंभीर/केवलज्ञान-सम्पन्न, १२. तीन लोक के दिलों पर शासन करने वाला, १३. सोलहवें स्वर्ग से आने वाला, १४. अवधिज्ञान का धनी, १५. रत्न-राशि-सा दैदीप्यमान या गुणों का स्वामी और १६. अग्निशिखा-सा जाज्वल्यमान या ध्यानाग्नि से कर्मों को जलाने वाला होगा। इन्हें हम आमने-सामने रखकर चार्ट द्वारा समग्रतया इसप्रकार समझ सकते हैं - देखे गए स्वप्न स्वप्न फल १. मदोन्मत्त गज प्रतापशाली, बलिष्ठ। २. ऊँचे कंधोंवाला शुभ्र बैल । संसार में श्रेष्ठ, कर्मठ। ३. गरजता सिंह शक्तिशाली, पराक्रमी। ४. कमल सिंहासन पर बैठी लक्ष्मी अनन्त चतुष्टय लक्ष्मी का धारक या कमलयुक्त कलश द्वारा लक्ष्मी या सुमेरु पर्वत पर अभिषिक्तवान। को स्नान कराते हुए दो हाथी ५. दो सुगंधित मालाएं सुमनों-सा कोमल या धर्मतीर्थ प्रवर्तक। ६. नक्षत्रों की सभा में बैठा चंद्र | संसार को आनन्ददायी या चंद्र-सा शीतल। ७. उगता हुआ सूर्य सूर्य-समान तेजस्वी। ८. कमल के पत्तों से ढंके दो स्वर्ण | निधिओंका भोक्ता यास्वर्णकलशकलश सा मंगलमय। ९. जलाशय में क्रीड़ारत मीन-युगल ज्ञानानन्द सागर में मग्न रहनेवाला। १०. स्वच्छ जल से परिपूर्ण जलाशय निर्मल समकित-ज्ञान से परिपूर्ण या वात्सल्य भाव-सम्पन्न। ११. गंभीर घोष करता सागर सागर-सा गंभीर या केवलज्ञान सम्पन्न। - तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग २/१९४
SR No.007197
Book TitleTattvagyan Vivechika Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana Jain
PublisherA B Jain Yuva Federation
Publication Year2008
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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