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________________ ३८३ श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी विधान मैं तो जिन हूँ. यह अनुभव ही शुद्ध मोक्ष पद दाता है | जिन हैं अन्य, अन्य मैं ही हूँ चेतन भाग्य विधाता है ||... भजन पाया नर भव महान मिला जिनश्रुत प्रधान । और चेतन को क्या चाहिए | · ज्ञान सच्चा मिला आज सौभाग्य से । . और चेतन को क्या चाहिए || शुद्ध समकित मिला भेदज्ञान सहित ।। और चेतन को क्या चाहिए | पाया शुद्ध स्वरूपाचरण पहिली बार | और चेतन को क्या चाहिए | आया संयम का रथ श्रेष्ठ लेने को आज ।.. __ और चेतन को क्या चाहिए | दूर अविरति हुई मोह भ्रम तम गया । __ और चेतन को क्या चाहिए || मोक्ष मार्ग मिला इसको आज अपूर्व । और चेतन को क्या चाहिए | पाया इसने यथाख्यात चारित्र श्रेष्ठ ।। और चेतन को क्या चाहिए | मोह क्षीण हुआ केवल ज्ञान मिला । और चेतन को क्या चाहिए | सिद्ध पद इसके चरणों में आया स्वयं । और चेतन को क्या चाहिए | पाया इसने समयसार ग्रंथाधिराज । ___ और चेतन को क्या चाहिए || निज समय के हुए इसको दर्शन सहज । - और चेतन को क्या चाहिए || .
SR No.007196
Book TitleTattvagyan Tarangini Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Pavaiya
PublisherTaradevi Pavaiya Granthmala
Publication Year1997
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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