________________
. २०
स्वस्ति मंगल मंगलमय भगवान वीर प्रभु मंगलमय गौतम गणधर। मंगलमय श्री कुन्दकुन्द मुनि मंगल जैन धर्म सुखकर।॥१॥ मंगलमय श्री ऋषभदेव प्रभु मंगलमय श्री अजित जिनेश। मंगलमय श्री संभव जिनवर मंगल अभिनंदन परमेश।।२।। मंगलमय श्री सुमति जिनोत्तम मंगल पद्मनाथ सर्वेश। मंगलमय सुपार्श्व जिन स्वामी मंगल चन्द्राप्रभु चन्द्रेश।।३।। मंगलमय श्री पुष्पदंत प्रभु, मंगल शीतलनाथ सुरेश। मंगलमय श्रेयांसनाथ जिन मंगल वासुपूज्य पूज्येश।।४।। मंगलमय श्री विमलनाथ विभु, मंगल अनन्तनाथ महेश। मंगलमय श्री धर्मनाथ जिन मंगल शांतिनाथ चकेश।।५।। मंगल कुन्थुनाथ जिन मंगल मंगल श्री अरनाथ गुणेश। मंगलमय श्री मल्लिनाथ प्रभु मंगल · मुनिसुव्रत सत्येश।।६।। मंगलमय नमिनाथ जिनेश्वर मंगल नेमिनाथ योगेश। मंगलमय श्री पार्श्वनाथ प्रभु, मंगल वर्धमान तीर्थेश।।७।। मंगलमय अरिहंत महाप्रभु, मंगल सर्व सिद्ध लोकेश। मंगलमय आचार्य श्री जय मंगल उपाध्याय ज्ञानेश।।८।। मंगलमय श्री सर्वसाधुगण , मंगल जिनवाणी उपदेश। मंगलमय सीमन्धर आदिक, विद्यमान जिन बीस परेश।।९।। मंगलमय त्रैलोक्य जिनालय, मंगल जिन प्रतिमा भव्येश। मंगलमय त्रिकाल चौबीसी, मंगल समवशरण सविशेष॥१०॥ मंगल पंचमेरु जिन मंदिर, मंगल नन्दीश्वर दीपेश। मंगल सोलह कारण दशलक्षण, रत्नत्रय व्रत भव्येश॥११॥ मंगल सहस्त्र कट चैत्यालय मंगल मानस्तम्भ हमेश। मंगलमय केवलि श्रुतकेवलि मंगल ऋदिधारि विद्येश॥१२॥ . मंगलमय पांचों कल्याणक, मंगल जिन शासन उद्देश। मंगलमय निर्वाण भूमि, मंगलमय अतिशय क्षेत्र विशेष।।१३।। सर्व सिद्धि मंगल के दाता हरो अमंगल हे विशेश। जर तक सिद्ध स्वपद ना पाऊं तब तक पूजू हे बह्येश॥१४॥
पुष्पांजलि क्षिपामि