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श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी नवम अध्याय पूजन
खाज रोग से पीड़ित मानव उसे खुजाया करता है । इन्द्रिय रोगों से पीड़ित विषयादिक सेवन करता है ॥
ॐ
पजन क्रमांक १०
तत्त्वज्ञान तरंगिणी नवम अध्याय पूजन
स्थापना
गीतिका
तत्त्वज्ञान तरंगिणी का यह नवम अधिकार है । शुद्ध निज चिद्रूप मंगलमयी शिव सुखकार है ॥ शुद्ध निज चिद्रूप का ही ध्यान करने के लिए । मोह तजना चाहिए निज ज्ञान करने के लिए ॥
ॐ ह्रीं नवम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागम अत्र अवतर अवतर संवौषट् ।
ॐ ह्रीं नवम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागम अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्तपानं ।
ॐ ह्रीं नवम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागम अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्
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अष्टक
छंद मानव
निश्चय चरुणानुयोग का मुझकोआचरण सुहाया । जन्मादि रोत्र त्रय नाशक अवसर न कभी भी पाया ॥ चिद्रूप शुद्ध की कथनी ऊपर ही ऊपर जानी । अंतर में नहीं उतारी ऐसा हूँ मैं अज्ञानी ॥
ॐ ह्रीं नवम अधिकार समन्वित श्री तत्त्वज्ञान तरंगिणी जिनागमाय जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं नि. ।