SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७ शक्तियाँ और ४७ नय कि वह सम्पूर्ण लोक में व्याप्त है, पर यहाँ ऐसी बात नहीं है। यहाँ तो यह कहा जा रहा है कि भगवान आत्मा अपने चैतन्यलोक में व्याप्त है, अपने सम्पूर्ण गुणों और पर्यायों में व्याप्त है, फैला हुआ है, पसरा हुआ है। भगवान आत्मा का परपदार्थों में व्याप्त होने का तो कोई प्रश्न ही नहीं है। प्रवचनसार की २३ वीं गाथा में जो आत्मा को सर्वगत कहा गया है, उसका अर्थ तो मात्र इतना है कि वह सम्पूर्ण लोकालोक को जानने के स्वभाववाला है। उसमें साफ-साफ लिखा है कि आत्मा ज्ञानप्रमाण है, ज्ञान ज्ञेयप्रमाण है और ज्ञेय सम्पूर्ण लोकालोक है; इसलिए आत्मा सर्वगत है। वहाँ तो मात्र सबको जानने की बात है और यहाँ आत्मा अपने सामान्य स्वभाव के कारण अपने गुणों व पर्यायों में पूर्णत: व्याप्त है - यह कहा जा रहा है। प्रवचनसार की २३ वीं गाथा संबंधी बात सर्वगतनय और असर्वगतनय के प्रकरण में यथास्थान की जावेगी; यहाँ तो सामान्य और विशेष - इन दोनों नयों के माध्यम से मात्र इतना कहा जा रहा है कि आत्मा अपनी सम्पूर्ण पर्यायों में तो व्याप्त है, पर उसकी प्रत्येकपर्याय आत्मा में त्रिकाल व्याप्त नहीं है; क्योंकि उसकी एक पर्याय दूसरी पर्याय में व्याप्त नहीं है। प्रश्न - भावनय और द्रव्यनय के प्रकरण में भी तो कुछ इसीप्रकार कहा था ? उनमें और इसमें क्या अन्तर है ? उत्तर - यह भगवान आत्मा भावनय से वर्तमानपर्यायरूप प्रतिभासित होता है, द्रव्यनय से भूत-भावीपर्यायरूप से प्रतिभासित होता है और इस सामान्यनय से भूत, वर्तमान और भविष्य - इन तीनों काल की पर्यायों में व्याप्त प्रतिभासित होता है। . सामान्यनय से अर्थात् द्रव्य-अपेक्षा आत्मा सर्व पर्यायों में व्याप्त है, पर विशेषनय से अर्थात् पर्याय-अपेक्षा आत्मा सर्व पर्यायों में व्याप्त नहीं है; इसलिए यह कहा जाता है कि आत्मा सामान्यनय से व्यापक है और विशेषनय से अव्यापक है। वस्तुत: बात यह है कि द्रव्य और पर्याय में व्यापक-व्याप्य सम्बन्ध
SR No.007195
Book Title47 Shaktiya Aur 47 Nay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2008
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy