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________________ भावशक्ति और क्रियाशक्ति ३९-४०. भावशक्ति और क्रियाशक्ति कारकानुगतक्रियानिष्क्रान्तभवनमात्रमयी भावशक्तिः। कारकानुगतभवत्तारूपभावमयी क्रियाशक्तिः। जो पर्याय अभी नहीं है और अगले समय में नियम से होनेवाली है; उस अभावरूप पर्याय का भावरूप होना ही अभावभावशक्तिका कार्य है। भावभाव अर्थात् भाव का भाव और अभाव-अभाव अर्थात् अभाव का अभाव । तात्पर्य यह है कि जो पर्याय होनेवाली है, उसी पर्याय का होना अन्य का नहीं होना भावभावशक्ति का कार्य है और जो पर्याय होनेवाली नहीं है अथवा जिसका अभाव सुनिश्चित है; उस पर्याय का नहीं होना अभाव-अभावशक्ति का कार्य है ।।३३-३८|| उक्त भावादि छह शक्तियों की चर्चा के उपरान्त अब ३९वीं भावशक्ति और ४०वीं क्रियाशक्ति की चर्चा करते हैं - इन भावशक्ति और क्रियाशक्ति का स्वरूप आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है - ___ कारकों के अनुसार होनेवाली क्रिया से रहित भवनमात्रमयी भावशक्ति है और कारकों के अनुसार परिणमित होनेरूप भावमयी क्रियाशक्ति है। देखो, यह भावशक्ति कारकों के अनुसार होनेवाली क्रिया से रहित मात्र होनेरूप है और क्रियाशक्ति कारकों के अनुसार परिणमित होने रूप है। भावशक्ति यह बताती है कि आत्मा रागादि विकारी भावों के षट्कारकों से रहित है और क्रियाशक्ति यह बतलाती है कि सम्यग्दर्शनादि निर्मल पर्यायों के षट्कारकों से सहित है। ३३वीं शक्ति का नाम भी भावशक्ति है और इस ३९वीं शक्ति का नाम भी भावशक्ति ही है; नाम एक-सा होने पर भी दोनों में मूलभूत अन्तर यह है कि ३३वीं भावशक्ति में यह कहा था कि प्रत्येक द्रव्य
SR No.007195
Book Title47 Shaktiya Aur 47 Nay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2008
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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