________________
संपादकीय
xix
श्री जौहरीमलजी पारेख जोधपुर ले गए, तथा इन लेखों को जैसा का वैसा छाप दिया। प्रूफ देखने को नहीं मिला। इस कारण लेखों में कुछ भूलें रह गईं। दूसरी ओर कुछ स्थलों के अशुद्ध मालूम होने पर प्रत्यक्ष रूप से उन मूर्तियों को देखकर शुद्ध करने का प्रयत्न किया गया। परन्तु ऐसे सभी स्थलों को देखना शक्य नहीं था। अतः उन स्थानों में प्रश्नवाचक चिह्न लगाकर काम चलाया है।
यूं तो पाटण के अधिकांश जैन मंदिरों में जितनी धातु प्रतिमाएं थीं, उन सभी के लेख उतारे गए हैं; तथापि खजूरीपाडा, भाभापाडा, लिम्बडीपाडा, तथा कणासापाडा में स्थित श्री शान्तिनाथजी का बड़ा मंदिर तथा बाबू का मंदिर, इन पाँच मंदिरों के लेख नहीं लिये गए हैं। कारण यह है कि ये लेख जैन धातु प्रतिमा लेखसंग्रह, भाग प्रथम, लेखक श्रीमदल्ल बुद्धिसागरसूरिजी पृ० 39 से 66, लेखांक 215 - 386 मुनिबुद्धि सम्पादित जैन धातु प्रतिमा लेखसंग्रह में छपे हुए हैं। ये लेख " अनुपूर्ति लेख " पृ० 217 से 241 में ग्रंथ के पीछे मुद्रित हैं।
दूसरी ओर ढंढेरवाडा के तीन मंदिर तथा भेंसातवाडा का एक मंदिर, इन चार मंदिरों के लेख प्रबन्धकों की अनुमति न मिल सकने के कारण नहीं लिए जा सके।
श्री केशवलाल भाई के द्वारा कुछ 1743 लेख उतारे गए हैं। परन्तु उनमें से जिन लेखों में संवत् अथवा ऐसी कोई उपयोगी सूचना नहीं थी, ऐसे लेखों को छोड़कर शेष 1568 लेख इस पुस्तक में मुद्रित किये गए हैं।
अंत में 7 परिशिष्ट इस क्रम से दिये गए हैं
1. लेखस्थमूर्तियों के प्राप्तिस्थान ।
2. लेखों में आये हुए गच्छों के नाम ।
3. लेखस्थ आचार्य - मुनियों के नाम ।
4. लेखस्थ ग्रामानुक्रमणिका ।
5. लेखस्थ ज्ञातियों के नामानुक्रम ।
6. लेखस्थ गोत्रों की सूची ।
7. लेखस्थ श्रावक-श्राविकाओं के नामों की तालिका ।
आज पर्यन्त श्वेताम्बर संबद्ध जैन धातु प्रतिमाओं के लेखों की निम्नलिखित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं
1. प्राचीन जैन लेखसंग्रह, प्रथम भाग (प्राकृत लेख विभाग)
संग्राहक अने संपादक : मुनिजिनविजय, प्रकाशक : श्री जैन आत्मानंद सभा भावनगर, वि० सं० 1973 (सन् 1917), पत्र 62.
इस ग्रंथ में खारवेल के हाथी गुम्फा अभिलेख दिये हुए हैं, तथा उनका गुजराती भाषान्तर भी दिया गया है।