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नय-रहस्य यही उनका अविरोधपना है। इसलिए उनमें ३६ के आँकड़े जैसा विरोध न होकर ६३ के आँकड़े जैसा अविरोध समझना चाहिए अर्थात् दोनों नय, वस्तु-स्वरूप का निर्णय करने की प्रक्रिया के ही अंग हैं।
प्रत्येक नाटक में नायक और खलनायक का चरित्र परस्पर विरोधी दिखाया जाता है। रामलीला में रावण और राम का चरित्र परस्पर विरोधी होने पर भी रावण का चरित्र राम के व्यक्तित्व को उभारता है। यदि रावण का चरित्र रखा ही न जाए या रावण भी राम जैसी भाषा बोलने लगे तो रामलीला का क्या स्वरूप होगा? अतः रावण और राम, दोनों चरित्र मिलकर रामलीला का समग्र स्वरूप प्रस्तुत करते हैं। .. हमारे गृहस्थ जीवन में भी पति-पत्नी का स्वभाव, उनके उत्तरदायित्व तथा कार्य भिन्न-भिन्न दिखते हैं। पति धन कमाने की तथा घर के बाहर की जिम्मेदारी सँभालता है तो पत्नी घर की व्यवस्था की जिम्मेदारी सँभालती है। दोनों के कार्य, परस्पर विरुद्ध दिखने पर भी एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी नहीं, अपितु पूरक हैं, इसलिए उनका सम्बन्ध ३६ के अंक जैसा विरोधी न होकर ६३ के अंक जैसा अविरोधी समझना चाहिए।
व्यापार, खेल, राजनीति आदि जीवन के समस्त अंगों में यह विरोध और अविरोध अनिवार्य है, अन्यथा जीवन के ये महत्त्वपूर्ण कार्य व्यवस्थितरूप से सम्पन्नं नहीं हो सकते। ___ हमारी शारीरिक आवश्यकताएँ भी परस्पर विरोधी होने पर भी जीवन के लिए अनिवार्य हैं। पेट खाली होना और भरना, नींद लेना और नींद का त्याग करना अर्थात् जागना, श्वास लेना और छोड़ना आदि अनेक विरोधी कार्यकलाप हमारे जीवन को व्यवस्थितरूप से संचालित करते हैं।