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व्यवहारनय के भेद - प्रभेद
नय का नाम
7. स्वजाति गुण से स्वजाति पर्याय का आरोप करनेवाला नय 8. स्वजाति विभाव पर्याय में द्रव्य
का उपचार करनेवाला नय 9. स्वजाति पर्याय में स्वजाति का आरोप करनेवाला नय
गुण
व्यवहारनय
रूप है ?
उपचरित-असद्भूतव्यवहारनय के छह भेद
उपचरित-असद्भूत-व्यवहार के भेदों का स्पष्टीकरण द्रव्यस्वभावप्रकाशक नयचक्र, गाथा 242 से 246 एवं श्रुतभवनदीपक नयचक्र, पृष्ठ 68-70 में इस प्रकार किया गया है
`व्यवहारनय
प्रयोग
7. जैसे, परिणमनशीलता देखकर ज्ञानगुण को पर्याय कहना । 8. जैसे, स्थूल स्कन्ध को पुद्गल
द्रव्य कहना ।
9. जैसे, शरीर के आकार को कैसा उत्तम
देखकर कहा
नय का नाम
प्रयोग
1. सत्य - उपचरित - असद्भूत - 1. जैसे, देश का स्वामी (राजा) व्यवहारनय कहता है कि यह देश मेरा है। 2. असत्य-उपचरित-असद्भूत - 2. जैसे, देश का नागरिक कहता है कि यह देश मेरा है ।
व्यवहारनय
5. विजाति - उपचरित -असद्भूत
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व्यवहारनय
6. स्वजाति - विजाति-उपचरित
असद्भूतव्यवहारनय
3. सत्यासत्य-उपचरित-असद्भूत 3. जैसे, व्यापार करते हुए व्यापारी कहता है कि यह धन मेरा है । 4. स्वजाति-उपचरित-असद्भूत - 4. जैसे, मैं पुत्रादि-बन्धु - वर्गरूप हूँ या यह मेरी सम्पत्ति है ऐसा कहना ।
5. जैसे, आभरण, स्वर्ण, रत्न, वस्त्रादि मेरे हैं - ऐसा कहना । 6. जैसे, राज्य, महल आदि अन्य द्रव्यों को अपना कहना
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