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________________ [३९] (दोहा) दयामयी जिनधर्म यह, वृद्धि होउ सुखकार । सुखी होउ राजा प्रजा, मि, सर्व दुख भार ॥ ॥ इत्याशीर्वाद ॥ (इति चतुर्थ कोष्ठ पूजा) अथ पंचम कोष्ठस्थ बलऋद्धि धारक मुनि पूजा । ॥ स्थापना ॥ (लक्ष्मीधरा छन्द) धरत सिर धरत सिर धरत सिर चरन तर । करत हम करत हम करत गुरु भक्ति वर ॥ थपत इत थपत इत थपत बल ऋषि-चरन । बलऋद्धि बलऋद्धि बलऋद्धि अर्चन करन । ॐ ह्रीं बलऋद्धि धारक सर्वमुनीश्वरसमूह ! अत्रावतरावतर । संवौषट् । आह्वानम् । ॐ ह्रीं बलऋद्धि धारक सर्वमुनीश्वर समूह ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । स्थापनम् । ॐ ह्रीं बलऋद्धि धारक सर्वमुनीश्वर समूह ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं । अष्टक । (चाल जोगीरासा) क्षीरोदधि पदमादि द्रहनिको गंगादिक जल लायो । रतन जडित श्रृंगार धार दे श्रीगुरु-चरण चढायो ।
SR No.007149
Book TitleChousath Ruddhi Poojan Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2006
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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