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________________ 96 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना वस्तुतः कणाद ने दो आत्माओं को माना है - जीवात्मा एवं परमात्मा जीवात्मा की चेतना सीमित है, जबकि परमात्मा की चेतना असीमित है। जीवात्मा अनेक हैं, जबकि परमात्मा एक है। कणाद ने आत्मा को अमर माना है। यह अनादि और अनन्त है। (8) महर्षि कपिल के अनुसार आत्मा महर्षि कपिल ने पुरुष को आत्मा और प्रकृति को अनात्मा माना है। आत्मा को दृष्टा और प्रकृति दृश्य एवं आत्मा को ज्ञाता और प्रकृति को ज्ञेय माना है। उन्होंने आत्मा को सत्त्व, रजस्, तमस् से शून्य माना है। जबकि प्रकृति को सत्त्व, रजस् और तमस् से अलंकृत माना है। इसलिए पुरुष को त्रिगुणातीत और प्रकृति को त्रिगुणमयी कहा गया है। - कपिल ने पुरुष को शुद्ध चैतन्य माना है। चैतन्य आत्मा में सर्वदा निवास करता है। आत्मा को जागृत अवस्था, स्वप्नावस्था या सुषुप्तावस्था में से किसी भी अवस्था में माना जाए, उसमें चैतन्य वर्तमान रहता है। इसलिए चैतन्य को आत्मा का गुण नहीं, बल्कि स्वभाव माना गया है। आत्मा प्रकाशरूप है, वह स्वयं तथा संसार के अन्य वस्तुओं को प्रकाशित करती है। (७) शंकर के अनुसार आत्मा शंकर आत्मा को ब्रह्म कहते हैं। आत्मा ही एकमात्र सत्य है। आत्मा की सत्यता पारमार्थिक है। शेष सभी वस्तुएँ व्यावहारिक सत्यता का ही दावा कर सकती हैं। चैतन्य आत्मा का स्वरूप माना गया है। शंकर ने आत्मा को नित्य, शुद्ध और निराकार माना है। आत्मा यथार्थतः भोक्ता और कर्ता नहीं है। वह उपाधियों के कारण ही भोक्ता और कर्ता दिखाई पड़ता है। शुद्ध चैतन्य होने के कारण आत्मा का स्वरूप ज्ञानात्मक है। वह स्वयं प्रकाश है तथा विभिन्न विषयों को प्रकाशित करता है। शंकर आत्मा और ब्रह्म के ऐक्य को 'तत्त्वमसि' से पुष्टि करते हैं। (10) रामानुज के आत्मा सम्बन्धी विचार रामानुज के दर्शन में जीवात्मा ब्रह्म का अंग है। ब्रह्म में तीन चीजें निहित हैं - चित, अचित और ईश्वर । ब्रह्म में निहित चित ही जीवात्मा है। जीवात्मा शरीर 'मन' इन्द्रियों से भिन्न है। जीवात्मा ईश्वर पर आश्रित है। ईश्वर जीवात्मा का संचालक है। जीवात्मा संसार के भिन्न-भिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करता है, इसलिए वह ज्ञाता है। जीवात्मा रामानुज के मतानुसार तीन प्रकार के होते हैं..- (1) बद्धजीव (2) मुक्त जीव और (3) नित्य जीव। ऐसे जीव जिनका सांसारिक जीवन अभी समाप्त नहीं हुआ है, बद्ध जीव
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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