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. मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल ही जाता है। आपने तत्त्वज्ञान को जीवनदान देने के साथ उसका संरक्षणसंवर्द्धन किया है। आपने विविध आयामों के माध्यम से अध्यात्म को वृहदाकार दिया है।
- पण्डित प्रकाशचन्द 'हितैषी',
सम्पादक, सन्मति सन्देश, दिल्ली चतुर्मुखी व्यक्तित्व के धनी जैनजगत में ‘भारिल्ल' यह नाम जन-जन में प्रचलित हो गया है। आध्यात्मिक शिविरों में, संगोष्ठियों में, अहिंसक सम्मेलनों तथा धार्मिक उत्सवों और अब समयसार वाचनाओं में डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल को शीर्ष स्थान प्राप्त है।
केवल भारत में ही नहीं, देश-देशान्तरों तथा विदेशों के विशाल भू-भाग में उनकी आध्यात्मिक गूंज सुनाई पड़ती है।
प्रवचनों के माध्यम से उन्होंने सभी तरह के जन-मानस में एक लोकप्रिय स्थान बना लिया है। .. एक प्रखर आध्यात्मिक प्रवक्ता होने के साथ-साथ अच्छे कथाकार का गुण भी उनमें समाहित है। भले ही प्रवचनों-भाषणों में आध्यात्मिक दृष्टि प्रधान हो; किन्तु व्यवहार की निस्तरंगता, लोक प्रचलित घटनाओं तथा दृष्टान्तों की अन्विति से कठिन से कठिन विषय को जन-मानस में प्रविष्ट कराने की कला में निपुण होना ही उनके व्यक्तित्व की विशेषता है।
अध्यात्म की रुचि रखनेवालों में तो उनकी प्रसिद्धि एक अनुभवी पण्डित के रूप में ख्यात है, लेकिन विरोधियों में भी आपकी प्रविष्टि सहज है। ___इस देश में आज जैन तत्त्वज्ञान की जो विशाल पौध लहराती नजर
आ रही है; उसमें डॉ. भारिल्ल एवं भारिल्ल परिवार का विशेष योगदान रहा है।
-- देवेन्द्रकुमार जैन, भूतपूर्व अध्यक्ष, श्री अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद्, नीमच (म.प्र.)