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________________ 78 वस्तुविज्ञानसार यह है कि घड़ा बनने के लिए मिट्टी में जैसी सामान्य योग्यता है, वैसी योग्यता अन्य पदार्थों में नहीं है। मिट्टी में घड़ा बनने की विशेष योग्यता तो जिस समय घड़ा बनता है, उसी समय है; उससे पूर्व उसमें घड़ा बनने की विशेष योग्यता नहीं है; इसलिए विशेष योग्यता ही सच्चा उपादानकारण है, जो कि कार्य का उत्पादक है। इस विषय को अधिक स्पष्ट करने के लिए उसे जीव में लागू करते हैं - सम्यग्दर्शन प्रगट होने की सामान्य योग्यता तो प्रत्येक जीव में है, जीव से अतिरिक्त अन्य किसी में वैसी सामान्य योग्यता नहीं है। सम्यग्दर्शन की सामान्य योग्यता (शक्ति) समस्त जीवों में है किन्तु विशेष योग्यता भव्यजीवों में ही होती है; अभव्यजीवों के तथा भव्यजीव जब तक मिथ्यादृष्टि रहता है, तब तक उसके भी सम्यग्दर्शन की विशेष योग्यता नहीं होती। विशेष योग्यता तो उसी समय है, जिस समय जीव, पुरुषार्थ से सम्यग्दर्शन प्रगट करता है। सामान्य योग्यता द्रव्यरूप है और विशेष योग्यता प्रगटरूप है; सामान्य योग्यता कार्य के प्रगट होने का उपादानकारण नहीं किन्तु विशेष योग्यता ही उपादानकारण है। प्रश्न - 'चारित्रदशा प्रगट होती है, इसलिए वस्त्र नहीं छूट जाते किन्तु वस्त्र के परमाणुओं की योग्यता से ही वे छूटते हैं' - ऐसा आपने कहा है किन्तु किसी जीव के चारित्रदशा प्रगट होती हो और वस्त्र में छूटने की योग्यता न हो तो क्या सवस्त्र मुक्ति हो जाएगी? .. उत्तर - सवस्त्र मुक्ति होने की तो बात ही नहीं है। चारित्रदशा का स्वरूप ही ऐसा है कि उसे वस्त्र के साथ निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध रहता ही नहीं; इसलिए चारित्रदशा में सहज ही वस्त्र का
SR No.007138
Book TitleVastu Vigyansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarilal Jain, Devendrakumar Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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