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________________ 46 वस्तुविज्ञानसार मिट्टी में घटरूप पर्याय होने की योग्यता सदा की नहीं, उसी समय की है। मिट्टी से घड़ा बनता है, वह उसकी वर्तमान पर्याय की उस समय की योग्यता से ही बना है, वह कुम्हार के कारण नहीं बना है। कोई यह कहे कि मिट्टी में घड़ा बनने की योग्यता तो सदा विद्यमान है किन्तु जब कुम्हार ने बनाया, तब घड़ा बना, तो उसकी यह मान्यता मिथ्या है। मिट्टी में घड़ारूप होने की योग्यता सदा नहीं है किन्तु वर्तमान उसी समय की पर्याय में यह योग्यता है और जिस समय पर्याय में योग्यता होती है, उस समय ही अपने उपादान से घड़ा होता है। अन्य पदार्थों से मिट्टी को अलग पहचानने के लिए द्रव्यार्थिकनय से यह कहा जाता है कि 'मिट्टी में घड़ा होने की योग्यता है' किन्तु वास्तव में तो जब घड़ा होता है, उसी समय उसमें घड़ा होने की योग्यता थी, उससे पूर्व उसमें घड़ा होने की योग्यता नहीं थी किन्तु दूसरी पर्यायें होने की योग्यता थी । शिष्य की श्रद्धा और गुरु की स्वतन्त्रता आत्मा पुरुषार्थ से सच्ची श्रद्धा करता है, यह उसकी पर्याय की वर्तमान योग्यता है और गुरु अपने कारण से उपस्थित है। ऐसा नहीं है कि जीव ने श्रद्धा की, इसलिए गुरु को आना पड़ा और ऐसा भी नहीं है कि गुरु आये, इसलिए उनके कारण जीव को श्रद्धा हुई; दोनों अपने कारण से हैं । यदि ऐसा माने कि गुरु आये, इसलिए श्रद्धा हुई, तो गुरु कर्ता और शिष्य की श्रद्धा - पर्याय उनका कार्य; इस प्रकार दो भिन्न द्रव्यों में कर्ता-कर्मपना हो जाएगा। अथवा ऐसा माने कि जीव ने श्रद्धा की,
SR No.007138
Book TitleVastu Vigyansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarilal Jain, Devendrakumar Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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