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कारण भव-वन में परिभ्रमण किया है और कालान्तर में अपने आत्मोन्मखी पुरुषार्थ द्वारा मनुष्यपर्याय से ही नहीं, सिंह और हाथी इत्यादि तिर्यञ्चपर्याय से भी अपने आत्मकल्याण का मङ्गल प्रारम्भ किया है। ___इन घटनाओं के अनुशीलन से हमें किसी भी प्राणी की दीन-हीन दशा में भी उसके प्रति जुगुप्सा का भाव पैदा नहीं होता, साथ ही अपनी दीन-हीन दशा में भी आत्मबल खण्डित न होकर, आत्मोन्मुखी पुरुषार्थ का प्रचण्ड वेग जागृत होता है।
हमारे तारणहार पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी तो 'पञ्च कल्याणक का साक्षात दर्शन, सम्यग्दर्शन का निमित्त है' - ऐसा कहकर इस महोत्सव की अद्भुत महिमा गाते हैं।
इस महोत्सव में होनेवाला प्रत्येक कार्यक्रम मुक्तिमार्ग का सुर-सङ्गीत सुनाता सा प्रतीत होता है। आईये! हम भी इस महा-महोत्सव में शामिल होकर मुक्ति का रिजर्वेशन करायें।
इस महोत्सव के सम्बन्ध में उत्पन्न होनेवाले विविध प्रश्नों एवं उसके सुन्दर समाधान का यह सङ्कलन हमारे साथी डॉ० राकेश जैन 'शास्त्री' ने किया है एवं भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) के जीवन पर आधारित प्रश्नोत्तरों का सङ्कलन पण्डित संजय जैन शास्त्री द्वारा किया गया है - तदर्थ वे साधुवाद के पात्र हैं। ____ इस सङ्कलन को उपयोगी बनाने में श्री पवन जैन, अलीगढ़ का श्रम भी अनुमोदनयोग्य है। प्रस्तुत सङ्कलन का अध्ययन करके, आप मङ्गलायतन विश्वविद्यालय में होने जा रहे तीर्थङ्कर भगवान श्री आदिनाथ पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में अवश्य पधारें और अपने सम्पूर्ण प्रश्नों के समाधान प्रत्यक्ष में प्राप्त कर आत्महित के मार्ग में लगें – यही भावना है। दिनाङ्कः
देवेन्द्रकुमार जैन तीर्थधाम मङ्गलायतन
अलीगढ़।