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________________ विमान से चयकर तीर्थङ्कर हुआ। प्रश्न 61 : भगवान ऋषभदेव के जीव ने कौन-से भव में तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध किया? उत्तर : भगवान ऋषभदेव के जीव ने वज्रनाभि चक्रवर्ती की पर्याय में अपने पिता वज्रसेन तीर्थङ्कर के समवसरण में तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध किया। प्रश्न 62 : क्या भगवान आदिनाथ / ऋषभदेव जैनधर्म के प्रवर्तक हैं? उत्तर - जैनधर्म कोई सम्प्रदाय नहीं है, वह तो वस्तु का स्वरूप है; अत: जैनधर्म का कोई प्रवर्तक नहीं है, क्योंकि वह अनादि-निधन, शाश्वत् सत्य है। भगवान ऋषभदेव जैनधर्म के तीर्थङ्कर एवं उपदेशक हैं। मुनिदशा की अनादिकालीन सत्य वस्तुस्थिति मुनिदशा होने पर सहज निर्ग्रन्थ दिगम्बरदशा हो जाती है। मुनि की दशा तीनों काल नग्न दिगम्बर ही होती है। यह कोई पक्ष अथवा बाड़ा नहीं, किन्तु अनादि सत्य वस्तुस्थिति है। कोई कहे कि वस्त्र होवे तो क्या आपत्ति है क्योंकि वस्त्र तो परवस्तु है, वह कहाँ आत्मा को रोकता है?' इसका समाधान यह है कि वस्त्र तो परवस्तु है और वह आत्मा को नहीं रोकता, यह बात तो सत्य है परन्तु वस्त्र के ग्रहण की बुद्धि ही मुनिपने को रोकनेवाली है। मुनियों को अन्तर की रमणता करते-करते इतनी उदासीनदशा सहज हो गयी है कि उन्हें वस्त्र के ग्रहण का विकल्प ही उत्पन्न नहीं होता। (- पञ्च कल्याणक प्रवचन, गुजराती, पृष्ठ 144)
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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