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पञ्च-कल्याणक का एक-एक मन्त्र कल्याणकारी
- प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी अभिनन्दनकुमार शास्त्री,
तीर्थधाम मङ्गलायतन अलीगढ़ 'जिन-प्रतिमा जिनवर-सी कहिये' - महान विद्वान एवं अध्यात्मरस के रसिया कविवर भैया भगवतीदासजी का जिनेन्द्र प्रतिमा की महिमा बतानेवाला यह पद जब आद्योपान्त पढ़ते हैं, तब सहज ही यह ज्ञान हो जाता है कि समवसरण में विराजमान जिनेन्द्रभगवान एवं जिनमन्दिर में प्रतिष्ठापूर्वक विराजमान वीतरागी जिनेन्द्र प्रतिमा में कोई अन्तर नहीं है।
जिस प्रक्रिया द्वारा पाषाण से निर्मित अथवा अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा, जिनेन्द्र भगवान के समान उपास्य एवं पूज्यपने को प्राप्त हो जाती है, उस प्रक्रिया को पञ्च-कल्याणक कहते हैं। वर्षभर में जैनधर्म के अनेक पर्व-महोत्सव आते हैं परन्तु पञ्च -कल्याणक महोत्सव जैनधर्म का सबसे महान पुण्य अनुष्ठान है, महा-माङ्गलिक महोत्सव है। ___ यह महा-महोत्सव मात्र जैन समाज के लिए ही आनन्दकारी हो - ऐसा नहीं है, अपितु जन-जन को आह्लादकारी है। अनेक धर्मप्रेमी जीव इसमें निहित क्रियाओं को देखकर, कई मुमुक्षु भाई इस महोत्सव में आये हुए विद्वानों द्वारा जिनेन्द्रभगवान द्वारा कही हुई वाणी को प्रवचनों तथा कक्षाओं के माध्यम से सुनकर तथा
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