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________________ नाथूलालजी शास्त्री ने प्रतिष्ठा प्रदीप में लिखा है। इन संस्कार मन्त्रों की विधि करते समय प्रतिष्ठाचार्य अतिशय उज्ज्वल परिणाम धारण करते हैं, बल्कि अङ्कन्यास करते समय प्रतिष्ठाचार्य अपने अङ्गों में इन मन्त्रों की स्थापना करते हैं, पश्चात् मूर्ति में उन मन्त्रों का संस्कार करते हैं। ___ इनमें से सूरिमन्त्र आदि मन्त्र, प्राण-प्रतिष्ठा के सर्वोपरि मन्त्र हैं । यदि प्रतिष्ठा महोत्सव में नग्न दिगम्बर मुनिराज की अनुपस्थिति में प्रतिष्ठाचार्य स्वयं नग्न होकर, इन विधियों को विशुद्धभाव से करते हैं। (प्रतिष्ठा पाठ ......... आधार) प्रश्न 30 - दिव्यध्वनि का प्रसारण कैसे किया जाता है? उत्तर - केवलज्ञान प्राप्ति के बाद समवसरण में तीर्थङ्कर भगवान को चतुर्मुख विराजमान किया जाता है और परदे के पीछे से दिव्यध्वनि का प्रसारण किया जाता है। यद्यपि तीर्थङ्कर भगवान की दिव्यध्वनि निरक्षरी होती है और वह गणधरदेव के माध्यम से खिरती है, तथापि भव्यजीवों की प्रेरणार्थ इस प्रकार उसका प्रदर्शन किया जाता है। प्रश्न 31 - मोक्षगमन की विधि किस प्रकार दिखायी जाती है? उत्तर - मोक्षकल्याणक के पूर्व तीर्थङ्कर प्रभु को उनके
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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