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प्रश्न 3 - पञ्च-कल्याणक को हम किस प्रकार समझ सकते है?
उत्तर - पञ्च-कल्याणक को हम अन्तर्बाह्य दृष्टि से समझ सकते हैं।
आत्महित में इस महोत्सव को निमित्त बनाना, इसका आध्यात्मिक आभ्यन्तर स्वरूप है, जो किसी भी प्रकार से विस्मृत करने योग्य नहीं है। इस उद्देश्य को मुख्य रखकर पञ्च-कल्याणक की आभ्यन्तर विधियाँ और बाह्य प्रदर्शन किया जाता है। ___आभ्यन्तर विधियाँ वे होती हैं, जो प्रतिष्ठाचार्य बिना प्रदर्शन के सम्पन्न करते हैं और बाह्य विधियाँ वे होती हैं, जो जन साधारण को मञ्च के माध्यम से दिखाई जाती हैं।
आभ्यन्तर विधियों में शान्तिजाप, अङ्कन्यास, सूरीमन्त्र, प्राणप्रतिष्ठा मन्त्र इत्यादि आती हैं और बाह्य विधियों में झण्डारोहण, शोभायात्रा, स्वप्नों का प्रदर्शन, पाण्डुकशिला पर अभिषेक, पालनाझूलन, राजसभा, इन्द्रसभा, दीक्षा, आहारदान, दिव्यध्वनि प्रदर्शन, निर्वाणकल्याणक का प्रदर्शन इत्यादि आता है। इन सभी विधियों का पर्याप्त परिचय तो आप पञ्च-कल्याणक के साक्षात् दर्शन से ही प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 4 - मङ्गलायतन विश्वविद्यालय में नवनिर्मित इस जिनमन्दिर में मूल नायक भगवान महावीर हैं और पञ्चकल्याणक भगवान आदिनाथ का मनाया जा रहा है? क्या इसका कोई विशेष कारण है?
उत्तर - हाँ, अनादि अनन्त काल प्रवाह में षट् कालों के परिवर्तन के अन्तर्गत चतुर्थ काल में चौबीस तीर्थङ्कर होते हैं ऐसेऐसे अनन्त चौबीस तीर्थङ्कर हो चुके हैं और भविष्य में भी होते रहेंगे। इस काल चक्र के परिवर्तन के प्रारम्भ में प्रथम तीर्थङ्कर