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96/चिकाय की आराधना
चिकाय का गीत
प्रभु आपने एक चिकाय ही दिखाई। चिकाय की आराधना की विधि बताई ।। चिकाय का रूप मुझे आज भाया । महानन्द मैंने चिकाय में ही पाया ।। भव-भव भटकते बहुत काल बीता । रहा आज तक मोह मदिरा ही पीता ।। फिर ढूंढता सुख विषयन के माहिं । मिली किन्तु उनमें असह्य वेदना ही ।। महा भाग्य से अपने को देव पाया। महा भाग्य से चिकाय को पाया ।। चिकाय ही प्रभु है दिखे आज मुझको । महा हर्ष / मानो मिला मोक्ष ही हो ।। अनादि की बहिर्मुख बुद्धि पलाई । बहिर्मुखता ही है प्रभो दोष भारी ।। सर्वांग सुखमय स्वयं शुद्ध निर्मल । शक्ति अनन्तों चिद्वाय एक अविचल ।। चिन्मूर्ति चिदकाय भगवान आत्मा । तिहूँ जग में नमनीय चिकाय चिदात्मा ।। तिहूँ लोक में नाथ आराध्य जताया। हो अद्वैत वन्दन प्रभों हर्ष छाया ।। चिकाय ही आपका देव है, आप आपका ध्येय | अखिल विश्व में चिकाय ही, है परम उपादेय ।।
ॐ शांति शांति शांति