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ही मोक्ष का द्वार ही चिदकाय की आरधाना ही मो ही मोक्ष का द्वार है। चिदकाय की आरधाना ही मो ही मोक्ष ही मोक्ष
ग्रन्था परिचय " चिद्काय की आराधना" नामक यह अपूर्व ग्रंथ मोक्षमार्ग का, परमात्मा बनने का मार्ग प्रगट करता है। इसमें सर्व प्रकार से उपादेय अपनी ही आभ्यन्तर चिद्काय जो भगवान स्वरूप है, जो स्वसंवेदन प्रत्यक्ष है, की आराधना करने का सुंदर एवं अभूतपूर्व वर्णन किया गया है। इसमें आचार्य माघनन्दि द्वारा रचित ध्यानसुत्रों का आश्रय कर निज चिद्काय की महिमा का वर्णन किया गया है और निज चिद्काय में लीनता करने की प्रेरणा की गई है |इसमें परमात्मा बनने का उपाय सरल शब्दों में प्रगट किया गया है |
इसको पढने से मोक्षमार्ग के सम्बन्ध में जो हमारी विपरीत मान्यतायें हैं वे सब दूर हो जाती है और अपना उपयोग अपनी चिद्काय में लगाने का उत्साह प्रगट होता है । बस! आपने एक बार अंतर्दृष्टि कर अपना उपयोग अपनी चिद्काय में लगाया तो आपको इतना अधिक आनन्द आयेगा कि फिर आपको बहिर्मुख रहना कभी भी अच्छा नहीं लगेगा।
निज चिद्काय की आराधना करने से आपको अत्यधिक आनन्द होगा और ऐसा अनुभव होगा कि मानो आप पंच परमेष्ठी भगवन्तों के समान उत्कृष्ट जीवन जी रहे हैं।
जिन्होंने निज चिद्काय का अनुभव किया, वे धन्य हो गये; वे इस भयंकर दुःखरूप भव समुद्र से हमेशा के लिये पार हो गये । इस कारण आप इस ग्रन्थ को चित्त एकाग्र कर पढ़ें, सुने और तदनुसार सदा आचरण करें।
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