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प्रकाशकीय आत्महित के निमित्तभूत श्री सिद्धपरमेष्ठी विधान को प्रकाशित करते हुए कुन्दकुन्द प्रवचन प्रसारण संस्थान, उज्जैन अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है।
कुन्दकुन्द प्रवचन प्रसारण संस्थान, उज्जैन गुरुदेवश्री द्वारा प्रकाशित तत्त्वज्ञान को जन-जन के समीप तक पहुँचाने हेतु कृत संकल्पित है। __ पूज्य गुरुदेवश्री के मङ्गल प्रभावना उदय में सैंकड़ों जिन मंदिरों एवं कई भव्य सङ्कलों का निर्माण हुआ है, जो उनके द्वारा प्रसारित भगवान महावीर के जीवमात्र को हितकारी आध्यात्मिक सन्देशों के व्यापक प्रचार-प्रसार में संलग्न है।
कुन्दकुन्द प्रवचन प्रसारण संस्थान भी पूज्य गुरुदेवश्री कानजी स्वामी के प्रभावना उदयरूपी वटवृक्ष की एक शाखा है। अत्यन्त अल्पकाल में इस संस्था ने अनेक तत्त्वप्रचारात्मक गतिविधियों से सम्पूर्ण मुमुक्षु समाज के हृदय में अपना अमिट प्रभाव स्थापित किया है।
जिनेन्द्रदेव द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार भारतवर्ष में प्रवचन, विधान, आध्यात्मिक व सैद्धान्तिक ग्रन्थों के द्वारा होता रहे - इसी भावना के साथ कुन्दकुन्द प्रवचन प्रसारण संस्थान, उज्जैन इस पुष्प को आपश्री के सम्मुख समर्पित करते हुए प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है।
प्रस्तुत कृति को प्रकाशित करने में श्रीमती कणिका धर्मपत्नी श्री प्रवीणकुमारजी लुहाड़िया, दिल्ली का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है, अत: हम उनके भी आभारी हैं।
प्रदीप झाँझरी.
मैनेजिंग ट्रस्टी,
कुन्दकुन्द प्रवचन प्रसारण संस्थान, उज्जैन प्रथम संस्करण : 2 हजार
मुद्रक : देशना कम्प्यूटर्स (20 सितम्बर से 27 सितम्बर 09 तक आयोजित | बी-179, मंगलमार्ग, बापूनगर, जयपुर सम्मेदशिखर शिविर के अवसर पर) मो. 9928517346