________________
370
जैन धर्म: सार सन्देश
47. वही 27 श्लोक 13-14, पृ. 273. 48. नाथूराम डोंगरीय जैन, जैन-धर्म, द्वितीय संस्करण, 'जैनधर्म' प्रकाशक कार्यालय,
बिजनौर, 1941, पृ.84. 49. पतञ्जलि, योगसूत्र, I.33
अध्याय 9 1. हरिलाल जैन, वीतराग विज्ञान, भाग 2, दौलतराम जी रचित छहढाला की द्वितीय ढाल पर
कानजी स्वामी के प्रवचन, श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट,सोनगढ़, 1971, पृ. 112 2. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव, सम्पादक–पन्नालाल जी बाकलीवाल, श्री परमश्रुत प्रभावक __ मंडल, बम्बई, 1927, 3.20, पृ.65 3. वही, 41.1, पृ. 424 4. वही, 22.6, 7, 11, 14 और 19, पृ. 233-235 5. वही, 22.21-23,25, 26, 34, 35 और दोहा 22, पृ. 235-238 6. वही, 23.2, 4, 6, 7, 11, 16, 17, 27, 29, 30 और 33, पृ. 239-244 7. आचार्य देशभूषण महाराज-अनुवादक और सम्पादक, रत्नाकर शतक, द्वितीय भाग, ___ श्री स्याद्वाद प्रकाशन मन्दिर, आरा,1950, पृ.8 8. पद्मसिंह मुनिराज, णाणसार (ज्ञानसार), भाषाटीकाकार-त्रिलोकचन्द जैन, मूलचन्द
किसनदास कापड़िया, सूरत,1944, पृ. 6-7 9. गणेशप्रसाद वर्णी, वर्णी-वाणी, प्रथम भाग, पञ्चम संस्करण, सम्पादक-नरेन्द्र विद्यार्थी,
श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी,1968, पृ. 230, 232, 235 और 240 10. ऋषिभासित, अध्याय 22, गाथा 14 11. कन्हैयालाल लोढ़ा, जैन-धर्म में ध्यान, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 2007, पृ. 64 12. कन्हैयालाल लोढ़ा, जैन धर्म में ध्यान, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 2007, पृ. 247 13. वही, पृ. 10 14. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 3. 12, 13 और 16, पृ.63-64 15. अमितगति आचार्य, तत्त्वभावना या बृहत् सामयिक पाठ, टीकाकार-सीतल प्रसाद जी, ___ मूलचन्द किसनदास कापड़िया, सूरत, 1930, पृ. 109 और 292 16. पद्मसिंह मुनिराज, णाणसार (ज्ञानसार), भाषा टीकाकार त्रिलोकचन्दजी जैन, मूलचन्द
किसनदास कापड़िया, सूरत,1944, श्लोक 36, पृ. 28 17. आचार्य जिनसेन, आदि पुराण, प्रथम भाग, सम्पादक तथा अनुवादक-पन्नालाल जैन,
सातवाँ संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली,1944, 21.8, पृ. 474