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जैन धर्म: सार सन्देश
19. ब्रह्मचारी मूलशंकर देशाई, देव गुरु शास्त्र का स्वरूप, जैन दर्शन विद्यालय, जयपुर,
1961 पृ.57 20. जैन सिद्धान्त प्रवेश रत्नमाला, पाँचवा भाग, दूसरा संस्करण, वीतराग विज्ञान साहित्य
प्रकाशन समिति, देहरादून, आगरा, 1974, पृ. 230 21. शुभचन्द्रचार्य, ज्ञानार्णव 5.1.6,14 और 18 पृ. 84-87 22. हरिलाल जैन, वीतराग विज्ञान, भाग 2 दौलतराम जी रचित छहढाला की द्वितीय ढाल पर ___कानजी स्वामी के प्रवचन, श्री दि. जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट, सोनगढ़,1971, पृ. 149 23. पण्डित टोडरमल, मोक्षमार्ग प्रकाशक, पहला अधिकार, पृ. 20 24. हुकमचन्द भारिल्ल-सम्पादक, बृहजिनवाणी संग्रह में संग्रहीत-भूधरदास कृत बारह
भावना, दसम् संस्करण, अखिल भारतीय जैन युवा फ़ैडरेशन, जयपुर, 2006, पृ. 657 25. अमृतचन्द्रसूरि, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, हिन्दी भाषा टीका सहित, सम्पादक-नाथूराम प्रेमी, श्री
परमश्रुतप्रभावक मंडल, बम्बई, 1915, पृ. 2 26. पं. टोडरमल कृत मोक्षमार्ग प्रकाशक पर कानजी स्वामी के प्रवचन,
मोक्षमार्ग प्रकाशक की किरणें, अनुवादक-मगनलाल जैन , श्री जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट,
सोनगढ़,1950, पृ. 196 27. आचार्य श्री शिवमुनि जी महाराज द्वारा श्री आत्माराम जी महाराज की श्री जैनतत्त्व
कलिका विकास का सम्पादकीय, आत्मज्ञान-श्रमण-शिव अगम प्रकाशन समिति,
लुधियाना, 2004, पृ.6 28. आचार्य शिवमुनि, भारतीय धर्मों में मुक्ति-विचार, द्वितीय संस्करण, प्राकृत भारती
अकादमी, जयपुर, 2001, पृ. 123 29. आचार्य समन्तभद्र, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, श्लोक 5, 7 और 8
हिन्दी अनुवादक-जयकुमार जलज, हिन्दी ग्रन्थ कार्यालय, मुम्बई, 2006, पृ.8 30. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 42.30-32, पृ.436-437 । 31. हीरालाल जैन संपादक, जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी,
1965, प्रथम अध्याय, श्लोक 48, 50 और 51, पृ.47-48 32. हरिलाल जैन, वीतराग विज्ञान, भाग 2, दौलतराम जी रचित छहढाला की द्वितीय ढाल पर
कानजी स्वामी के प्रवचन, श्री दि. जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट, सोनगढ़, 1971,
पृ. 112-113 33. हुकमचन्द भारिल्ल, वीतराग-विज्ञान पाठमाला, भाग 2, नवा संस्करण, पंडित टोडरमल
स्मारक ट्रस्ट,जयपुर 1989, पृ. 13