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जैन धर्म: सार सन्देश
3. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, मूल 299, राजचन्द्र ग्रन्थमाला, 1960 4. गणेशप्रसाद वर्णी, वर्णी-वाणी, प्रथम भाग, पंचम संस्करण, सम्पादक, नरेन्द्र विद्यार्थी, __ श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी, 1968, पृ.71 # 22 5. वही, पृ.75 # 17 6. वही, पृ.71 # 21 7. दौलतराम कृत छहढाला, सटीक, दूसरी आवृत्ति, अनुवादक-मगनलाल जी जैन, श्री सेठी
दि. जैन ग्रन्थमाला, वीर संवत् 2489, पृ. 11 8. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 3/1-2, अनुवादक-पन्नालाल बाकलीवाल, श्री परमश्रुत प्रभावक
मंडल, बम्बई, 1927, पृ.61 9. चम्पक सागरजी महाराज, आत्म-मन्थन, श्री जैन सदाचार साहित्य समिति, जूनागढ़,
1965, पृ.86 10. आचार्य पद्मनन्दि, अनित्य-भावना (अनित्यपञ्चाशत्), सम्पादक और अनुवादक, जुगल
किशोर मुख्तार, वीर-सेवा-मन्दिर, सहारनपुर, 1946, श्लोक 28, पृ. 21 11. वही, श्लोक 4, पृ.4 12. चम्पक सागरजी महाराज, आत्म-मन्थन, श्री जैन सदाचार साहित्य समिति, जूनागढ़, __1965, पृ.71-72 13. आचार्य पद्मनन्दि, अनित्य-भावना (अनित्यपञ्चाशत्), सम्पादक और अनुवादक, जुगल
किशोर मुख्तार, वीर-सेवा-मन्दिर, सहारनपुर, 1946, श्लोक 26, पृ. 19-20 14. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 1/49, अनुवादक-पन्नालाल बाकलीवाल, श्री परमश्रुत प्रभावक ___ मंडल, बम्बई, 1927, पृ. 15 15. आचार्य पद्मनन्दि, अनित्य-भावना (अनित्यपञ्चाशत्), सम्पादक और अनुवादक, जुगल ____किशोर मुख्तार, वीर-सेवा-मन्दिर, सहारनपुर, 1946, श्लोक 47, पृ. 34-35 16. चम्पक सागरजी महाराज, आत्म-मन्थन, श्री जैन सदाचार साहित्य समिति, जूनागढ़,
1965, पृ.79 17. हीरालाल जैन (संपादक), जैनधर्मामृत, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, 1965, पृ. 276 18. आचार्य पद्मनन्दि, अनित्य-भावना (अनित्यपञ्चाशत् ), सम्पादक और अनुवादक, जुगल .
किशोर मुख्तार, वीर-सेवा-मन्दिर, सहारनपुर, 1946, श्लोक 19, पृ. 14-15 19. वही, श्लोक 7-8, पृ.6-7 20. हीरालाल जैन (संपादक), जैनधर्मामृत, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, 1965 पृ. 271 21. बृहज्जिनवाणी संग्रह (सम्पादक हुकमचन्द भारिल्ल) में संकलित भूधरदास कृत बारह
भावना, दशम संस्करण, अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, जयपुर 2006, पृ. 657