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प्रकाशकीय - पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट द्वारा ब्र. यशपाल जैन की नवीनतम कृति 'मोक्षमार्ग की पूर्णता' का प्रकाशन करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है। ___ अध्यात्मप्रेमी मुमुक्षुओंको मोक्षमार्ग की चर्चा अत्यन्त प्रिय है। सम्यग्दर्शनज्ञान-चारित्र की एकतारूप मोक्षमार्ग की उत्पत्ति से पूर्णता किस प्रकार होती है - यह सभी की जिज्ञासा का विषय है। इसी विषय को इस पुस्तक के प्रथम खण्ड में सरलता से समझाने का प्रयास किया है। द्वितीय खण्ड में सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान व सम्यक्चारित्र के सम्बन्ध में आध्यात्मिक सत्पुरुष श्री कानजीस्वामी के विशिष्ट उद्गार संकलित हैं। तथा तृतीय खण्ड में सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान वसम्यक्चारित्र की परिभाषाएँ आदि दिये हैं। . . ___ आध्यात्मिक तथ्यों को करणानुयोग के माध्यम से प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त ब्र. यशपाल जैन की अध्यापकीय शैली अत्यन्त सरल व सुबोध है - यह उनकी 'जिनधर्म प्रवेशिका' व 'गुणस्थान विवेचन' नामक पूर्व प्रकाशित पुस्तकों से भी स्पष्ट होता है। इस कृति के लिए हम उनके आभारी हैं।
इस कृति में विषय-विभाजन कर मुख्य शीर्षक व उपशीर्षक आदि देने में पण्डित शान्तिकुमार पाटील ने सहयोग दिया है। भाषा संशोधन का कार्य पण्डित जितेन्द्र राठी ने तथा रत्नत्रय की विभिन्न परिभाषाओं का आगम आधार खोजने का कष्ट साध्य कार्य आचार्य कक्षा के छात्र सौरभ जैन गढ़ाकोटा ने किया है। टाइपसैटिंग कैलाशचन्द्र शर्मा ने बड़े ही मनोयोगपूर्वक किया है। मुद्रण-व्यवस्था में प्रकाशन विभाग के प्रबन्धक श्री अखिल बंसल का विशेष सहयोग रहा है। दानदाताओं के कारण ही कीमत कम करने का कार्य हुआ है। अतः हम इन सभी महानुभावों के हार्दिक आभारी हैं।
ब्र. हेमचन्दजी 'हेम' देवलाली एवं पण्डित राजमलजी भोपाल ने भी इसे समग्र पढ़कर आवश्यक सुझाव दिये हैं, अतः हम उनके भी आभारी हैं। - आशा है पाठक इस कृति से लाभान्वित होंगे व अपना मोक्षमार्ग प्रशस्त करेंगे।
___ -डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, महामंत्री,
पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट