________________
आदेशः | विलोड
विसद्ध
४६५
| |- . . .
विसूर विहीर विहोड वीसर
अकारादिवर्णक्रमेण चतुर्थपादान्तर्गता धात्वादेशाः
.
वीसाल
४३५
निरनुबन्धः सूत्राधात्वक गणः | पत्रा
| पदम् | अर्थः विसम् चद् | १२९ |९९८
परस्मै |[अक.] अप्रमाणित होना, विपरीत होना । दल १७६
परस्मै | [अक.] टुकडे टुकडे होना । खिद् |१३२
४५६ | [अक.] खेद करना। प्रति ईक्ष | १९३
आत्मने [सक.] प्रतीक्षा करना । ताडय्
[सक.] ताडन करना। वि+स्मृ
[सक.] भूलना। मिश्रय
परस्मै | [सक.] मिलावट करना । उभय | [सक.] ले जाना ।
[सक.] जडना।
४७७/ आत्मने | [सक.] लपेटना । भञ्ज
[सक.] भांगना। वञ्च्
[सक.] पीडा करना, ठगना । उप+आ+लम् | १५६
[सक.] व्याकुल करना, उपालम्भ देना, हटाना । आत्मने | [अक.] क्रीडा करना ।
वुब्म
४९२|
वेअड
सानुबन्धः विद व्यक्तायां वाचि दल विशरणे खिदिच् दैन्ये इक्षि दर्शने तडण् आघाते स्मूं चिन्तायाम् मिश्र नामधातुः दुहीक क्षरणे खचि प्रादुर्भावे वेष्टि वेष्टने भोंप आमदने वञ्चिण प्रलम्भने डुलभिष् प्राप्तौ रमि क्रीडायाम् वञ्चिण प्रलम्भने ज्ञांश् अवबोधने वीज नामधातुः सैच् भये वचं भाषणे गम्लं गतौ
४४७
. . . . .
वेमय
वेलव
वेलव
. .
वेल्ल
६३
वेहव
वञ्च
४८/
आत्मने| [सक.] ठगना । परस्मै | [सक.] विज्ञप्ति करना ।
वोक्क
वि+ज्ञपय् | ३८
३७
. ।
वोज्ज
वीजय
२८
परस्मै | [सक.] हवा करना।
वोज्ज
४७०
. .
| [अक.] डरना। | [सक.] बोलना।
वोल
४६२/
परस्मै | [सक.] पसार करना, चलना, [अक.] पसार होना ।
है20
.