________________
Prakrit Verses In Vakroktijivita (Chapter III: pp. 19-25)
1.19
GS (W) 969 GV, 87
2.19
3.20
4.20 5.20 6.21
7.21
8.21
Mudrā VI. 4
अण्णं लडहत्तण आसंसारं कइ-पुंगवेहिँ एमेअ जणो तिस्सा कइ-केसरी वअणाण कण्णुप्पलदलमिलिअलोअणहिँ गअणं च मत्तमेहं चंकम्मति करिंदा चंदमऊहेहि णिसा छग्गुणसंजोअदिढा णमह दसाणण-सरहस णीसासा खणविरहे तं त्थि कि पि पइणो तदोपणिकमन्ते तह रुण्णं कण्ह विसा . ताला जाअंति गुणा तिक्खारुणं तमारं पररइमत्तअ अमहे पवाण चल विज्जु चडुलियं मउलावर्तान्तमते रइकेलिहिअणिअंसण रुहस्स तइअ-णअणं लीलाए कुवल कुवल वावी (? तावी)-तडे कुडुंगा सज्जेइ सुरहिमासो समविसमणिव्विसेसा सिढिलिअचाउ जअइ मअरद्धउ सिविणअ-खण-सुत्तुट्ठिआए सिविणअलद्ध-पिअअम सुहअ विलंबसु थो
9.21 10.21 11.22 12.22 13.22 14.22 15.22 16.23 17.23 18.23 19.23 20.23 21.24 22.24 23.24 24.24 25.25 26.25 27.25 27.25 28.25