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________________ 294 Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 1377) Vialiavioavianam...... (p. 1122) विअलिअ-विओअ-विअणं (पा. भे. विसरिअ-विओअ-दुक्खं) तक्खणपन्भट्ठ-राम मरणाआसं। जणअ-तणआएँ णवरं लद्धं मुच्छाणिमीलिअच्छीऍ सुहं ॥ (विगलित-वियोग-वेदनं (पा. भे. विस्मृत-वियोग-दुःख) तत्क्षग-प्रभ्रष्ट राममरणायासम् । जनकतनयया केवलं लब्धं मूर्छा-निमीलिताझ्या सुखम् ॥) -Setu XI. 58/57 (Calcutta edn) 1378) Thana-pariņāhe-tthaie...... (p. 1122) थणपरिणाहोत्थइए तीए हिअअम्मि पअणुअं पि ण दिळें । दोहं पि समूससिअं सूइज्जइ णवर वेविरे अहरोठे ॥ (स्तन-परिणाहावस्थगिते तस्या हृदये प्रतनुकमपि न दृष्टम् । दीर्घमपि समुच्छ्वसितं सूच्यते केवलं वेपनशीले ऽ धरोष्ठे ॥) -Setu XI. 59/58 (Calcutta edn) 1379) Avarippluda-nisasa...... (p. 1122) अपरिप्फुड-णीसासा तो सा मोह-विरमे वि णीसह-पडिआ। बझंत-बाह-गरुइअ-दुक्ख-समुव्वूढ-तारअं उम्मिल्ला ॥ (अपरिस्फुट-निःश्वासा ततः सा मोह-विरमेऽपि निःसह-पतिता। बध्यमान-बाष्प-गुरूकृत-दुःख-समुद्व्यूढ-तारकमुन्मीलिता ॥) ' -Setu XI. 60/59 (Calcutta edn) 1380) la rāma-pemma-kittana...... (p. 1122) इअ राम-पेम्म-कित्तण-दूसह-वज्जाहिघाअ-दूमिअ-हिअआ। . संभरिअ मक्क-कंठं अण्णमअं मरण-णिच्चआ वि परुण्णा ॥ (इति राम-प्रेम-कीर्तन-दुःसह-वजाभिघात-दून-हृदया। . संस्मृत्य मुक्तकण्ठमन्यमयं मरणनिश्चयापि प्ररुदिता ॥) -Setu XI. 133/131 (Calcutta edn) 1381) Parideviun pautta...... (p. 1123) परिदेविउं पउत्ता णिअअ-सरीर-पडिमुक्क-राहव-दुक्खं । करमग्गुट्ठिअ-सोणिअ-विवण्ण-उण्णअ-पओहरा जणअ-सुआ ॥ (परिदेवितुं प्रवृत्ता निजक-शरीर-प्रतिमुक्त-राघव-दुःखम् । करमार्गोत्थित-शोणित-विवर्णोन्नतपयोधरा जनक-सुता ॥) -Setu XI. 74/73 (Calcutta edn)
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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