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________________ Introductory essay and tools by Nalini Balbir अंक १] चौथो प्रो. ल्युमन अने आवश्यकसूत्र [८३ ६ ट्री गाथामा क्रपथी ए अग्यारना मनमा जेज मां क्रपथी ए अग्यारना मना जे जे बायतनो संशय हतो तनी नांध के अन ते आ प्रमाणे छे जीव' कम्म' तज्जीव' भूय' तारिसय" बन्ध-मोक्ख य ।। देवा' नरइया वा पुणे परलोग निव्याणे' ॥ ६ (५९६ ) ७. पहला पांचे गणधरोन ५००-५०० शिष्यो हता; ६-७ ने ३५०-३५० अने छेल्ला ४ ने ३००-३०० शिष्यो हता. महावीर दरकन नाम गोत्र पूर्वक बोलावे छे अने पछी तेना मनना संशयनुं नाम लई, 'तूं वेदना पदोनो अर्थ जाणतो नथी, तेनो अर्थ आ प्रमाणे छ' एम एक ज प्रकारनो जवाव आप जे. गाथावार गणधरोना उल्लेख आ प्रमाणे १७. पहेलो गणधर, जीव विषयक संशय. २५. घांजो कर्म विषयक ३१. बीजो तज्जीव तच्छरीर वि., ३५. पञ्च भूत वि० ३९. पांचमो सदृशोत्पत्ति वि० ४३. छठ्ठो बन्ध मोक्ष वि० सातमा देवमष्टि वि० आठमो नरकसृष्टि वि० नवमो पुण्य विषयक दशमो परलोक वि० ६३. अग्यारमो , निर्वाण वि० आ अग्यारे गणधरोना मनना संशयनो महावीरे जे खुलासो कयों हतो तेनो उल्लेख मूळ नियुक्तिमा करवामां आव्यो नथी. निन्हवानी हकीकतनी पेठे ज ए हकीकत पण निर्णय वगर ज आपवामां आवली छ. चूर्णिमां फक्त पहेला गणधरना संशयनो खुलासा करवानो थोडोक प्रयत्न करवामां आव्यो छे. पण जिनभद्र आ बाबतनो घणो उत्तम विस्तार करे छे. ए विषय माटे तेमणे ४०० उपरांत गाथाओ लखी छे अने तेना विवरणमा घणी विशेष वातो आपी छ. हरिभद्रसूरि आ विवरणमांथी घणांक अवतरणो पोतानी टीकामां ले छे अने एज अवतरणो विशपावश्यक भाष्यमांना गणधरवादनी टीकाओना आधारभूत बने के. वळी हरिभद्रनी टीका उपरथी किश्चिद्गगणधरवाद नामनो पण एक प्रन्थ लखायो छ, जेमा केटलोक वधार विस्तार करवामां आवेलो होई वदनां घणां खरा अवतरणो उपरांत छठी अने ते पछी आवती गाथामांनी कितनु पण निरूपण करेलं छे. आनी श्लोक संख्या लगभग २५० जेटली के अने पूनाना पुस्तकभंडारमा नं० १६, २९१ वाळी प्रतना २० थ न०१६०२९१ वाळी प्रतना २०थी:२३ मा सुधीना पानाओमा ए लखेला छ. दशवकालिकनी लघुत्तिमां पण संक्षेपथी आ विषय चर्चेला छ. आ विषयने लगता जे केटलांक वैदिक अने दार्शनिक अवतरणो जिनभद्र आपेछे अने तेमनो मानुसार करते जाणवां जवां छे. आमांनां घणां खरा अवतरणो तो तेमण फक्त जे अर्थ जन मतानुसार कर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006911
Book TitleOutline of Avasyaka Literature
Original Sutra AuthorN/A
AuthorErnst Leumann, George Baumann
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages256
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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