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________________ पाय पत्रेण सह वारस्तरणोदरे क्षिप्त्वा मूषायां तापयित्वा द्रवीभूत', महिगोमये उंडीत ढालयेत् । तार' भवति ॥ ___ अस्थिमक्षेति । प्रथम अस्थिमक्ष-विष्टाये कंग भारीई-ते वंग कुंथालि(ली)में घालोजे, टां० २, वी(वि,चे, तांबो टां० २, ते उपरि रूपा टां० २, ए विहुनी मंठि पाहिजे । ते उपरि ठीकड़ी मसकीने । ते उपरि वलि बंगनी कड़ी दीजे सं० २, संपुट बीड़ीने कापडामादी हीजे), सुकाबीने गजपुट (ने) ० (ह) १ अथ०() २ । अग्नि शी(सी)बल थये, लीजे के कलकतांनी कोळो भो १ । पीतम् ८॥ . . ... .... आयर्थ : दस रतेवि- शु द्ध वा स० १०, खपरसत्व , सोना टां० ४, एकठां अंधसूसे गालिये । एतले पीत जोटक ॥६॥ शुक्रेति-तारा टां० २, शुद्ध ताम्र-टां० २, खपरसस्प टा. २, एकन कर सकी मूसी पा(गा)लीये । पछे उगादिमूसी(सि) गालिये । पी(पित 'जोटक ॥१०॥ नाइण रसेणेति-नायणेह, पाले-ईश्वर, मंधक, कणेरी मणशिल इरताक ससिसोमल । पारो टां० ८, गंधक टां०८, मशि(सोल कणेरि ट० ४, हरताल २, सोमल टां० १, एकत्र करी नानीमोटी नागार्जुनीना रस पुट ७ दे(णा) । पछे नागरवैलिका रस पानका "पुट ७ देणा । काथाचूना पालि रस कादिये । 1°उन्मत्तका 'पत्रका पुट ७। 11आझीझाडाकी कि)पुट ७ । पुनः मेदासगी का रसका पुट ७, मरहठी पुट ७, हीरवणीरुइ पुट ७ । पुनः आजीजाडा पुट ७ देणा । 1. चार, ब 2. क्षेप्ता, ब । 3. तार, व। 4. भक्षेते, ब । 5. तांबा, ब। 6. आदिः , ब । 7. पि, व प्रत में नहीं है । 8. नागलिका, अ। 9. पानका, अ। 10. उन्मतका, अ। 11. पत्रका, अ। .. 12. अझीझाड़ा 13. देणी, ब ।' 14. ज्वोलकायंत्रे..। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006907
Book TitleSuvarna Raupya Siddhi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ C Sikdar
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages434
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size7 MB
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