SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिगत जल : यह पृथ्वी की सतह के नीचे सर्वत्र चट्टानों के छिद्रों में इकट्ठा होता रहता है। सतह से रिसता हुआ पानी पृथ्वी के सतह के नीचे कुछ मील की गहराई तक जा सकता है। सदियों से गहराई में बहता हुआ यह पानी, कई जगह इकट्ठा होकर भूमिगत जल श्रोत बनाता है। ऐसा अनुमान है कि भूमिगत जल की मात्रा, संसार की सभी नदियों और झीलों से सौ गुना अधिक है भूमिगत जल का उथला पानी कुछ ही घंटे पुराना हो सकता है, जबकि सामान्य गहराई पर यह जल सैकड़ों वर्ष पुराना हो सकता है। भू-जल की गुणवत्ता चूँकि जल एक उत्कृष्ट घोलक है, अतः उसमें अनेक रासायनिक पदार्थ घुले हुए हो सकते हैं, जो उसके प्रवहन मार्ग में उपलब्ध रहते हैं। चूंकि भूमिगत जल धीरे-धीरे रिसाव करते हुए कई चट्टानों में से होकर इकट्ठा होता है, उसमें सतह पर पाए जाने वाले पानी की अपेक्षा अधिक पदार्थ (TDS) घुले हुए होते है (300-700 ppm)। सतह के निकट वाले भू-जल में जैविक (बैक्टेरिया आदि) प्रदूषण भी हो सकता है, खासकर उन बस्तियों में, जहाँ पर अपशिष्ट पदार्थों का लगातार निस्तारण होता है। अतः जल- आपूर्ति व्यवस्था में खतरनाक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए क्लोरीन जैसी गैसों का उपयोग किया जाता है। दूषक पदार्थों के परीक्षण हेतु भू-जल विभाग कार्यरत है। पेयजल के इस्तेमाल करने के पूर्व यह आवश्यक है कि जल में जीवाणुओं की जाँच अवश्य की जाये। पेय जल में ई-कोली जीवाणु निश्चित रूप से अनुपस्थित रहने चाहिए। यह जाँच करने हेतु हाईड्रोजन सल्फाईड स्ट्रिप टेस्ट एक बहुत ही सरल उपाय है। इससे हानिकारक जीवाणुओं की उपस्थिति के बारे मे जानकारी मिलती है। इसी प्रकार फ्लोराईड आदि हानिकारक पदार्थों की भी प्रयोगशाला में जाँच करवा लेनी चाहिए। 6. जल-शोधन व जल-प्रबंधन दूषक पदार्थ व गंदलापन हटाने के लिए संग्रहण, निथारण और छनन क्रियाओं का उपयोग किया जाता है। गाँव व शहरों में नदी या तालाब के पानी का शोधन कम-से-कम लागत में हो सके, इसका ध्यान रखते हुए प्रयास किया जाता है। संग्रहण के बाद निथारण क्रिया अघुलनशील पदार्थों को हटाने के लिए, अवक्षेपण के बाद की जाती है। लेकिन अन्य घुलनशील प्रदूषक तत्त्वों को जल से हटाने के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy