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अतः मानव जाति के अस्तित्व के लिए वर्षा-जल संरक्षण बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। 3. जलचक्र सूर्य की ऊर्जा के प्रभाव से जल-द्रव्य पृथ्वी पर एक चक्र बनाता है। सूर्य की गर्मी के कारण पृथ्वी व समुद्र की सतह से जल वाष्प बन कर आकाश में उड़ जाता है, जब हवा की यह धारा ठण्डे स्तर पर पहुचती है, तो वाष्प संघनित हो जाती है, संघनित जल के ये बिंदु धूल तथा वायु के कणों से चिपक जाते हैं, जब पर्याप्त भाप धूल के कणों, पराग के कणों या प्रदूषण कारकों से मिल जाती है, तो बादल बन जाते हैं। बादल लम्बे समय तक बने नहीं रहते हैं, पुराने बादल निरंतर पुनः वाष्पित होते रहते हैं तथा नए बादल बनते रहते हैं, इससे आसमान में बादलों की आकृतियाँ निरंतर बदलती रहती हैं। जैसे-जैसे हवा में नमी बढती जाती है, बादलों को बनाने वाली बूंदें बड़ी होती जाती हैं, आखिरकार ये बूंदें इतनी बड़ी हो जाती है कि ये वायुमंडलीय भंवरों के साथ टिकी नहीं रह सकती है, तब ये बूंदें आकाश से जल के अवक्षेपण के रूप में गिर जाती हैं, ये ओले, बूंदों या बर्फ के रूप में हो सकती है। यह वायुमंडलीय स्थितियों, दबाव, तापक्रम, हवा-गति आदि की अवस्थाओं पर निर्भर करता है। पृथ्वी पर गिरा हुआ पानी, बह कर नदियों में, रिस कर भूगर्भ जल के रास्ते या वाष्प बन कर आकाश के रास्ते आकाश में चला जाता है, कुछ पानी जीवों के शरीर में इकट्ठा होता रहता है। उनके शरीर के सूक्ष्म छिद्रों से प्रस्वेदित होकर, यह जल फिर वाष्प के रूप में हवा में मिल जाता है। इस प्रकार वाष्पन, संघनन, अवक्षेपण, जल-प्रवहन, अन्तःछनन एवं प्रस्वेदन क्रियाओं द्वारा एक जल-चक्र बन जाता है। इस चक्र के एक भाग में जब पानी शुद्ध होकर पृथ्वी पर गिरता है, तो यही कड़ी मनुष्य को निरंतर उपयोग-लायक जल की आपूर्ति करता रहता है। 4. जल के विभिन्न उपयोग व आवश्यकता : भारत में वर्ष 2050 तक पानी की औसत उपलब्धता 1000-1400 घनमीटर प्रति व्यक्ति वार्षिक होगी, इस प्रकार जल की कमी की स्थिति रहेगी यह माना जाता है कि यदि पानी की उपलब्धता 1700 घनमीटर प्रति व्यक्ति वार्षिक से कम हो तो वह देश जल की दृष्टि से दबाव - क्षेत्र में है इस परिस्थिति से बचने के प्रयास अभी से करने चाहिए, इसके लिए बहते पानी के भंडारण के उपयुक्त प्रबंध करने चाहिए तथा भू-जल के अंधाधुन्ध दोहन पर नियंत्रण करना होगा, सिंचाई व्यवस्था में नई-नई तकनीकों का व्यापक प्रयोग होना चाहिए, इजराइल देश में पानी की मितव्ययता की दिशा में सिंचाई की कई नई व उन्नत तकनीकें ईजाद की गयी हैं,
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