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4. निम्नलिखित चीजों से पानी अचित्त होता है :
1. शीत, 2. उष्ण, 3. क्षार 4. अम्ल, 5. करीष विशेष - क्षेत्र 6. लवण, 7. ऊपर क्षेत्र में उत्पन्न लवण मिश्रित रजकण विशेष ऊष, 8. अग्नि 9. स्नेह 10. तेल (उष्ण- सूर्य का परिताप, अग्नि का परिताप - अग्नि)
(पृथ्वी और पानी दोनों आपस में शस्त्र है। जब तक सर्वथा परिणत नहीं होते, तब तक मिश्र अवस्था में रहते हैं ।)
5. कुल - कोड़ी (पानी के कुल) :
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(संदर्भ : पच्चीस बोल का थोकड़ा श्री. भै. सेठिया, बीकानेर सन् 2004, P15) कुलों के प्रकार को कुल कोड़ी कहते हैं । जैसे- अमुक प्रकार के रूप, रसादि वाले परमाणुओं से बने एक समूह को एक कुल कहते हैं। उनसे भिन्न-भिन्न प्रकार के रूप, रसादि वाले परमाणुओं से बने हुए हो, वह दूसरे प्रकार का कुल । इस तरह अमुक प्रकार के परमाणुओं के विकार ही कुलों के भेद बनाते हैं। जैसे एक छाणे के कंडे (गोबर के कंडे) में बिच्छु के बहुत कुल उपजते हैं, वैसे ही एकेन्द्रिय में भी बहुत कुल उपजते हैं । उसको कुल कोड़ी कहते है। जलकाय की 7 लाख कुल - कोड़ी हैं। एक परिवार, जो एकसा रूप और स्वाद रखता हो, एक कुल कहलाता है। यदि कोई परिवार अन्य आकार और स्वाद का बना हुआ है, तो वह अन्य कुल कहलायेगा । इस प्रकार भिन्न-भिन्न आकार व स्वाद के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के कुल होते हैं। हर प्रकार के पानी की कई योनियाँ व जातियाँ होती है। हर जाति के अपने विशेष गुण होते हैं। जैसे, पहाड़ी हिम-कुल जाति के पानी के गुण व अंतर्वस्तु (अंश), मैदानी हिम - कुल से भिन्न होंगे। उनकी ऊष्णता, अंतर्वस्तुएँ व अन्य अलग-अलग जल श्रोतों पर निर्भर करती है । जैसे झरने का, कुएँ या नदी का पानी एक दूसरे से भिन्नता लिए हुए होते हैं । एक विशेष जाति के कुछ पानी बीमारी पैदा कर सकते हैं, तो कुछ जाति के पानी बीमारी का इलाज भी कर सकते हैं। जैसे बड़ौदा (गुजरात) के नजदीक एक झरने के पानी से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है ।
6. आयुष्यः
जल के जीवों की जघन्य आयु एक अंतर्मुहूर्त (48 मिनट से कम) होती है तथा उत्कृष्ट आयुष्य 7000 साल होती है। एक मुहूर्त समय में पृथ्वीकाय, अग्निकाय और वायुकाय की तरह, जलकाय के जीव के 12,824 जन्म-मरण हो सकते हैं। अपर्याप्त जीव तो 65,536 बार जन्म मरण कर सकता है। ( भगवती 8 / 9, जीवाभिगम और 5th कर्मग्रन्थ - गाथा 39–41', श्वेताम्बर परम्परा)
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