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________________ ARDHA-MAGADHI RABDER. इमाइं जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मच्छकच्छभगाहमगरसंसुमारादीणं अद्धतेरस जाइ-कुल-कोडिजोणिपमुहसयसहस्साई तत्थ एगमेगंसि जाणिविहाणंसि अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्याइत्ता' तत्थेव भुज्जा २ पञ्चायाइस्सइ । से णं तो अणंतरं उध्वट्टित्ता एवं चउप्पएसु भुयपरीसप्मेसु खहयरेसु चउरिदिएसु तेइंदिरासु बेइंदिरासु वणप्फइकडुयरक्खेसु कडुयदुद्वेसु वाउतेउप्राउपुढवीसु अणेगसयसहस्सखुत्तो पच्चायाइस्सइ ॥३६॥ से णं तो अणतर उव्वट्टित्ता सुपइट्टपुरे गोणत्ताए पच्चायाहिइ । से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे अन्नया कयाइ पढमपाउसंसि गंगास महाणईए खलीणमट्टियं खणमाणे तडीए पेल्लिए समाणे कालगए तत्थेव सुपइट्ठपुरे नयरे सेट्टिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाइस्सइ। से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे जोवणगमणुपत्ते तहासवाण थेराणं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्सइ । से णं तत्थ बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता पालोइयपडिक्क्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कापे देवत्ताए उववजिहिइ । से णं तओ अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिझिहिह ॥३॥ एवं खलु जंब! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं दुहविवागाणं पढमस्स अझयणस्स अयम; पण्णत्ते "त्ति बेमि" ॥ ३८ ॥ (विवागमुत्तस्स पढमे सुयक्खंधे पढम अभयणं ) 10०दी० 2 Bखहरेतु 3. AD To B. 0जी0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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