SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ... मियापुते वाराए। 11 तए णं से विजए खत्तिए तीसे अम्मधाईर तिर एयमट्टं सोचा तहेव भीए समाणे जेणेव मिया देवी तेणेव उवागच्छद २त्ता मियं देविं एवं वयासी, "एस णं देवाणुप्पिए तुभं पढमे गम्भे। तं जहणं तुमं एयं एगते उवकुसडियाए उज्मासि तया णं तुम्भं पया नो थिरा भविस्सइ तेणं तुमं एयं दारयं रहस्सियंसि भमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेण पडिजागरमाणी विहराहि तेण तुम्भं पया घिरा भविस्सइ ॥३४॥ तए ण सा मिया देवी विजयस्स खत्तियस्स 'तह' त्ति पयम, विणएणं पडिसुणेइ २ त्ता तं दारगं रहसियंसि भमिघरंसि रहसिएण भत्तपाणेण पडिजागरमाणी २ विहरइ ॥ एवं खलु गोयमा ! मियापुत्ते दारए पुरा पुराणाणं असुभाणं कम्माणं पावफलं पच्चणुभवमाणे विहरइ ॥३॥ - "मियापुत्ते ण भंते ! दारए इओ चुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ ? । कहिं उववज्जिहिए? __ "गोयमा ! मियापुत्ते दारए छव्वीसं वासाई परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुढीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढगिरियायमले सोहकुलंसि सीहत्ताए उववजिहिइ । से णं तत्थ सोहे भविस्सइ अहम्मिए जाव साहसिए बहुपावं समजिजणइ । से कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उकासेणं सागरोवमट्टिइएसु नेरइएसु उववजिहिइ । से तो अणंतरं उत्पट्टित्ता सिरीसिवेसु उववजिहि । तनो भणंतरं माई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy