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________________ ARDHA-MAGADHI READER. क्खामी जावज्जीवाए, सव्व कोह, माण,मायं, लोहं, पेज्ज, दोस, कलह, अब्भक्खाण, पेसुण्णं, परपरिवायं, अरहरई, मायामोस, मिच्छादसणसल्लं, अकरणिज्ज जोगं पच्चक्खामो जावज्जीवाए । सव्वं असण पाण खाइमं साइमं चउवि पि आहारं पच्चक्खामो जावज्जोवाए । जं पि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं मणुण्णं मणामं थेज्जं वेसासियं संमतं बहुमतं अणुमतं भंडकरडगसमाण, मा ण सीयं मा ण उगह मा ण खुहा मा ण पिवासा मा ण वाला माण चोरा मा णं दंसा मा ण मसगा मा णवातिय-पित्तिय-संनिवाइय-विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटु एयपि णं चरमेहि ऊसासनीसासेहिं वोसिरामो,” त्ति कटु संलेहणाझूसणाझसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पाओवगया कालं अणवकंखमाणा विहरति ॥१८॥ तए ण ते परिवायगा बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेति २त्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्मे देवत्ताएउववरणा,तहिं तेसि गई दससागरीवमाई ठिई पण्णत्ता, परलोगस्स पाराहगा (१३) ३ ॥१९॥ (घोषवाइयत्तापूर) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006743
Book TitleArdha Magadhi Reader
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB D Jain
PublisherShri Satguru Publications
Publication Year1982
Total Pages246
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size9 MB
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