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Appendix III
Additional Notes
Himavanta-Therāvali - Era of the dates - Date of the Buddha's parinirvana – Date of Mahavira's nirvana - Asikanagara and Kamhabemna-Coyatha-Satakamnim and Bahasatimita-Kalimga Jina - Schism and Khāravela - The Schism-Kalinga and Jainism-Nandas and Jainism -Asoka and Kalinga
Himavanta-Therāvali In his letter dated 12-4-1930, published in the Anekānta, I, 6-7 (p. 351), Muni Jina Vijaya categorically stated that on a very careful reading he found the entire Himavanta-Therāvali to be a work of fiction. It would be relevant to quote him in extenso:
यह थेरावली अहमदाबाद में पण्डित–प्रवर श्री सुखलाल जी के प्रबन्ध से हमारे पास आ गई थी और उसका हमने खूब सूक्ष्मता के साथ वाचन किया। पढ़ने के साथ ही हमें वह सारा ही ग्रन्थ बनावटी मालूम हो गया और किसने और कब यह गढ़ डाला उसका भी कुछ हाल मालूम हो गया। इन बातों के विशेष उल्लेख की मैं अभी आवश्यकता नहीं समझता। सिर्फ इतना ही कह देना उचित होगा कि हिमवन्त-थेरावली के कल्पक ने, खारवेल के लेख वाली जो किताब हमारी (प्राचीन जैनलेखसंग्रह, प्रथम भाग) छपाई हुई है और जिसमें पं भगवानलाल इन्द्रजी के पढ़े हुए लेख का पाठ और विवरण दिया गया है उसी किताब को पढ़कर, उस पर से यह थेरावली का वर्णन बना लिया है। उस कल्पक को श्री जायसवाल जी के पाठ की कोई कल्पना नहीं हुई थी इसलिये उस कल्पक की थेरावली अप-टु-डेट नहीं बन सकी। खैर । ऐसी रीति हमारे
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