________________
118
The Hathigumphā Inscription and the Bhabru Edict
भंते, भगवान बुद्ध द्वारा कहे हुए ये धर्म वचन विनयसमुकसे (= धम्मचक्क-पवत्तन सुत्त), अलियवसानि (= अरियवंस सुत्त), अनागतभयानि (= अनागतभयानि सुत्त), मुनिगाथा (= मुनि सुत्त), मोनेयसूते (= नालक सुत्त), उपतिसपसिने (= सारिपुत्त सुत्त), तथा भूठ बोलने के सम्बन्ध में लाघुलोवाद (= राहुलोवाद सुत्त) हैं।
भंते, मैं चाहता हूँ कि ये धर्म वचन अधिकांश भिक्षु एवं भिक्षुणी बार-बार सुनें और (उनका) मनन करें तथा उसी प्रकार उपासक एवं उपासिका भी (करें)।
भंते, मैं इसे इसीलिये लिखा रहा हूँ कि वे (उक्त भिक्षु, भिक्षुणी, उपासक एवं उपासिका) मेरा अभिप्राय जान लें।"
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org