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समाहार द्वन्द्व समास - पदों के समाहार का बोध |
यथा - मूलकन्दं (पृ.-३५) मेहळणादहाशा (पृ.१७)
अव्यय
उपसर्ग
शकार ने कुल १८ अव्यय शब्दों का प्रयोग किया है, जिनमें से १० संस्कृत में भी प्रयुक्त होते हैं। " संस्कृत के समान निम्नलिखित अव्यय प्रस्तुत मागधी भाषा में प्रयुक्त हैं -
अलं, आ, आम (आम्), इव, किं, च, मा, वा और हि - ये कुल १० है ।
वाक्य में सौष्ठव एवं चमत्कार लाने के लिए अथवा अर्थ परिवर्तन के लिए संस्कृत के समान ही कुछ प्राकृत
उपसर्गों के प्रयोग उपलब्ध होते हैं। यथा
-
प्र= प- पधावशि (पृ.१६) = प्रधावसि,
अनु-अणु - अणुबन्धअन्ती (पृ. १७) = अनुबध्यमाना,
अणुणए (पृ.२०) अणुनय,
आङ् = आ - अहळामि (पृ.१/१२ ) आहरामि,
क्रिया विशेषण
मूल च कदं च समाहारो
अलं (पृ.१/२१) अलम् कहिं (पृ.३५) कुत्र = कहाँ,
क्खु/खु (पृ.२०,२३, १.१५) खलु = निश्चय ।
जहा (पृ.१.१०) यथा = जैसे,
पच्चा (पृ. ३०) पश्चात् = पीछे, अनन्तर,
शुवे (पृ. ३४) श्वः = आनेवाला कल,
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मेह च णाद हाश च समाहारो
संस्कृत के समान प्रस्तुत भाषा में भी कई क्रिया-विशेषणों का प्रयोग हुआ है। उनके रूप प्रायः परिवर्तित हैं, किन्तु अर्थ ज्यों के त्यों हैं । यथा -
= बस,
पर्याप्त, एत्थ (पृ.२३) अत्र = यहाँ,
पक्खळन्ती (पृ.१६) = प्रस्खलन्ती,
अणुबन्ध (पृ. ३४ ) = अनुबन्ध,
परि = परि - परित्तअशि (पृ. १८)
परित्रास्यते,
दुर-दु- दुळ्ळहे (पृ.१/१३) दुर्लभः ।
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दुक्खडे (पृ.३३)
दुष्कर =
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मा (पृ.२३) मा =
हवा (पृ.२१) अथवा = पक्षान्तर,
निषेध,
दुष्कर,
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