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२०.
२१.
२२.
२३.
२४.
२५.
२६.
२७.
२८.
२९.
अत्त-वग्ग
(१४)
लोक-वग्ग
(१४)
बुद्ध-वग्ग (२१)
सुख-वग्ग
(१४)
पिय-वग्ग
(१२)
क्रोध-वरग
(२६)
मल-वग्ग (१९)
धम्मट्ठ-वग्ग (१७)
मग्ग-वग्ग (२८)
पकिण्ण-वग्ग (१४)
नियर-वग्ग (१६)
नाग वग्ग
(१८)
तण्हा वग्ग
(३२)
सेवा
(२०)
(३२)
ब्राह्मण वग्ग (४०)
निर्वाण
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भिक्खु -
- वग्ग
१२. अत्त-वग्ग
१३. लोक वग्ग
(१०)
(१३)
१४. बुद्ध-वग्ग
(१८)
१५. सुख-वग्ग (१२)
१६.
पिय-वग्ग (१२)
१७. क्रोध-वग्ग
(१४)
१८. मल-वग्ग
(२१)
१९. धम्मट्ठ-वग्ग
(१७)
(१७)
पकिण्ण वग्ग (१६)
निरय-वग्ग
(१४)
(१४)
(२६)
३०.
३१.
३२.
३३.
३४.
३५.
३६.
(३६)
३७.
जन्म और मृत्यु (१८)
३८.
धर्म-लाभ
(१९)
३९.
महामंगल
(१९)
ऊपर चीनी अनुवाद के वर्गों के नाम जहाँ उनकी पालि धम्मपद के साथ समता है, पालि में सुविधा के विचार से दे दिये गए हैं। चीनी अनुवादों में उनके स्वभावतः चीनी भाषा में ही शीर्षक हैं।
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२०. मग्ग- वग्ग
२१.
२२.
२३. नाग वग्ग
२४. तण्हा वग्ग
२५.
२५. भिक्खु-वग्ग (२३)
२६.
ब्राह्मण - वग्ग (४१)
भरतसिंह उपाध्याय का मत है कि सब का मूलाधार पालि धम्मपद ही है, जिसकी गाथाओं को अक्सर बढ़ा कर और कहीं-कहीं घटाकर भी भिन्न-भिन्न बौद्ध सम्प्रदायों ने अपने अलग-अलग संग्रह बना लिए। इस प्रकार पालि धम्मपद का महत्व वाद्ध जगत में शिक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
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