SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुर्फान में पाया गया है। इस ग्रंथ में ३६ अध्याय है, अर्थात् पालि धम्मपद से ७ अधिक। इसी संस्करण का तिब्बती भाषा में अनुवाद भी मिलता है, जो ८१७- ८४२ ईसवी में किया गया था। रॉकहिल ने इसका अनुवाद ' उदान वर्ग' शीर्षक से किया है और उसे संस्कृत धर्मपद का प्रतिरूप माना है। धम्मपद का चौथा रूप फ-ख्यू - किङ् नामक चीनी अनुवाद में पाया जाता है। यह अनुवाद मूल संस्कृत धर्मपद से २२३ ई. में किया गया। मूल आज अनुपलब्ध है। इस चीनी अनुवाद में पालि धम्मपद के २६ वर्गों या अध्यायों की जगह ३९ तो अध्याय हैं और ४२३ गाथाओं की जगह ७५२ गाथाएँ हैं। इनका तुलनात्मक विवरण इस प्रकार है - क्रम. चीनी धम्मपद (फ- क्यू-किङ् ) पालि धम्मपद १. अनित्यता (२१) २. ज्ञान-दर्शन (२९) ३. श्रावक (१९) श्रृद्धा (१८) कर्तव्य पालन (१६) विचार (१२) मैत्री - भावना (१९) संलाप (१२) यमक वग्ग (२२) अप्रमाद - वग्ग ( २० ) चित्त-वग्ग (१२) पुप्फ-वग्ग (१७) बाल - वग्ग (२१) पंडित वग्ग (१७) अरहंत - वग्ग (१०) (१६) (२२) (१४) (१४) ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. Jain Education International सहस्र वग्ग पाप-वग्ग दंड-वग्ग जरा-वग्ग - 213 अनुपलब्ध अनुपलब्ध अनुपलब्ध अनुपलब्ध अनुपलब्ध अनुपलब्ध अनुपलब्ध अनुपलब्ध १. यमक वग्ग (२०) अप्पमाद-वग्ग (१२) चित्त-वग्ग (११) (१६) बाल-वग्ग (१६) पंडित - वग्ग (१४) अरहंत वग्ग (१४) सहस्स वग्ग (१६) (१३) (१४) (११) २. ३. ४. चित्त-वग्ग ५. ६. ७. ८. ९. पाप-वग्ग १०. पंडित - वग्ग ११. जरा वग्ग For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006701
Book TitleUniversal Values of Prakrit Texts
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherBahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan
Publication Year2011
Total Pages368
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy